पांच दिन में पूरी की जाने वाली ८४ कोष की पंचकोशी परिक्रमा काशी के पंचकोशी मंदिर में महज ८४ क़दमों में पूरी कर इसका पुण्य लिया जा सकता है। पक्का महाल के नन्द साहू लेन- राम घाट गली में एक ऐसा मंदिर है जिसकी दीवारो से लेकर गर्भ ग्रह तक पंचकोशी परिक्रमा मार्ग पर स्थित सभी देवी देवताओ और तीर्थों की स्थापना की गयी है। किसी ज़माने में जो लोग नंगे पैर इस लम्बी तीर्थ यात्रा को पूरी करने में समर्थ नहीं होते थे, वह इस मंदिर की परिक्रमा कर पंचकोशी यात्रा का फल प्राप्त करते थे ।
पुरषोतम मास होने की वजह से चालू माह में यह परिक्रमा कालने के लिए हज़ारों श्रद्धालु सड़कों पर निकल पड़ते है जाने अनजाने हुए पापों से मुक्ति पाने के लिए पंचकोशी परिक्रमा की जाती है मणिकर्णिका चक्रपुष्करिणी तीर्थ में संकल्प लेकर शुरू की जाने वाली इस परिक्रमा के मार्ग पर पांच पांडव और १०८ तीर्थ है पक्का महाल के पंचकोशी मंदिर की दक्षिण दीवार पहले कर्दमेश्वर महादेव इसके बाद भीम चंडी की प्रतिमा स्थापित है इसके बाद पश्चिम दीवार पर रामेश्वर, उतरी दीवार पर पांचों पांडवा और कपिल धरा के स्थान है इन दीवारों पर हिन्दू देवी देवताओं के अलावा गृह नक्षत्रों के भी स्थान बनाये गए है मंदिर का पशिमी हिस्सा अयोध्या और पूर्वी भाग मथुरा के नाम से जाना जाता है दक्षिण भारत के राजा ब्रहमदेव द्वारा इस मदिर की स्थापना की गयी थी।
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