Wednesday, September 16, 2015

मंगला गौरी

निःसंतान दम्पत्तियों को बच्चे का सुख देने वाली और अविवाहित कन्याओं को सर्वगुण सम्पन्न वर प्रदान करने वाली मां मंगला गौरी के प्रति भक्तों की असीम आस्था रहती है। मां की अनुकम्पा से भक्तों की सारी मनोकामनायें पूरी हो जाती है। मान्यता के अनुसार एक बार सूर्य पंचगंगा घाट (पंचनंदा तीर्थ) पर शिवलिंग स्थापित करके घोर तपस्या करने लगे। उनके तप से उनकी किरणें आग के समान गर्म होने लगीं। अन्ततः उनके तप के प्रभाव से किरणें इतनी तीक्ष्ण हो गयीं कि मानव सहित सभी प्राणी जहां के तहां बुत बन गये। चारो ओर हाहाकार मच गया। अचानक हुई इस अप्राकृतिक स्थिति को जानने के लिए भगवान शिव मां पार्वती के साथ तपस्या में लीन सूर्यदेव के सामने प्रकट हुए। महादेव और मां पार्वती को अपने सम्मुख पाकर सूर्यदेव भावविह्वल हो गये और उनकी स्तुति करने लगे। सूर्य देव की इस असीम भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान स्वरूप दैव शक्तियां प्रदान की। साथ ही कहा कि यहां स्थापित देवी जिन्हें कालांतर में मंगला गौरी के नाम से जाना जायेगा। इनके दर्शन-पूजन करने वाले आस्थावान भक्तों को सभी प्रकार के दुखों से दूर कर मां सुख सम्पत्ति प्रदान करेंगी। वहीं, अविवाहित कन्याएं यदि मां का दर्शन करेंगी तो उन्हें सर्वगुण सम्पन्न वर और निःसंतान दम्पत्ति को दर्शन करने से बच्चे की प्राप्ति होगी। धीर-धीरे इस मंदिर की ख्याति बढ़ती गयी। बाद में मां के इस मंदिर का निर्माण किसी भक्त ने करवाया। इस मंदिर को पंचायतन मंदिर भी कहा जाता है। मंदिर के मध्य में गौरीगौश्तीश्वर शिवलिंग स्थापित हैं। मंदिर में एक कोने में मां की दिव्य प्रतिमा स्थापित है। वहीं, मंदिर में आदि केशव और हनुमान जी की मूर्ति को रामदास जी ने स्थापित किया है। मंदिर में मर्तंड भैरव की भी मूर्ति है। जिनके दर्शन-पूजन करने लोग आते हैं। मंदिर में बड़ा कार्यक्रम पूष महीने की शुक्लपक्ष चतुर्दशी को मां का अन्नकूट महोत्सव होता है। इस दौरान कई प्रकार के व्यंजन बनाकर मां को अर्पित किया जाता है। वहीं चैत्र नवरात्र में अष्टमी के दिन इन्हें गौरी के रूप में पूजा जाता है। प्रत्येक मंगलवार को इस मंदिर में काफी संख्या में श्रद्धालु मां के दर्शन-पूजन के लिए पहुंचते हैं। यह मंदिर प्रातःकाल 4 से दोपहर 12 बजे तक खुला रहता है। फिर पुनः शाम को 4 बजे से खुलता है जो रात 9 बजे तक खुला रहता है। मां की आरती दो बार होती है। सुबह की आरती 5 बजे एवं रात की शयन आरती 9 बजे होती है। यह मंदिर k 24/34 पंचगंगा घाट पर स्थित है। कैन्ट स्टेशन से करीब 8 किलोमीटर दूर स्थित इस मंदिर तक पहुंचने के लिए ऑटो द्वारा मैदागिन चौराहे पर पहुंचकर पैदल भैरवनाथ होते हुए सकरी गलियों द्वारा पहुंचा जा सकता है।




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