धर्म नगरी काशी में वैसे तो सात वार और नौ त्यौहार की मान्यता वर्षों से चली आ रही है जिसमें 16 दिनों तक चलने वाले सोरहिया मेले का खासा महत्व है। आज से शुरू हुए इस सोरहिया मेले का आयोजन लक्सा स्थित प्राचीन लक्ष्मी मंदिर पर सोलह दिनों तक होता है। इस पर्व के दौरान महिलाएं व्रत रह कर मां लक्ष्मी की पूजा करती है। मान्यता है कि इससे सुख समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
हिन्दू मान्यता में मां लक्ष्मी को पूजे जाने का विशेष स्थान है। मां लक्ष्मी को धन, सम्पदा, और वैभव की देवी माना जाता है। वाराणसी में 16 दिनों तक खास पर्व सोरहिया मेला के दौरान मां लक्ष्मी की लगातार 16 दिनों तक पूजन अर्चना चलती है।
इस दौरान हजारों लाखों श्रद्धालु लक्सा स्थित प्राचीन लक्ष्मी कुंड पर मां की उपासना करते है और मंदिर में मां के दर्शन करते है। ऐसा करने से सुख व समृद्धि के साथ ही संतान प्राप्ति का वैभव भी प्राप्त होता है।
व्रती महिलाएं पहले ही दिन से मां लक्ष्मी की मूर्ति में धागा लपेट कर पूरे सोलह दिन उसकी पूजा अर्चना करती है और अंतिम 16 वे दिन जिउतपुत्रिका यानि जिवतिया पर्व के साथ इस कठिन व्रत तप की समाप्ति करती हैं। साथ ही मां लक्ष्मी को 16 अलग अलग प्रकार के फल फूल और अन्य आमग्री अर्पित करती हैं।
इस पर्व के पीछे गाथा है कि महाराजा जिउत की कोई संतान नहीं थी जिसपर महाराजा ने मां लक्ष्मी का ध्यान किया और मां लक्ष्मी ने सपने में दर्शन देकर सोलह दिनों के इस कठिन व्रत को महाराजा से करने को कहा, जिसके बाद महाराजा को संतान के साथ समृद्धि और ऐश्वर्य की भी प्राप्ति हुई। तभी से इस परंपरा का नाम सोरहिया पड़ा और आज भी भक्त पूरी श्रृद्धा और विश्वास के साथ इस मेले और व्रत में भागीदारी करते हैं।
No comments:
Post a Comment