बिना निमंत्रण के जब माता पार्वती अपने पिता जी के होने वाले महायग में गई और साथ में हट करके शिव जी को भी ले गई ,वहा अपने पिता से अपने पति यानी शिव जी का अपमान होता देख माता पार्वती खुद को उसी हवन कुण्ड में अग्नि के हवाले कर लिए और भगवान शिव उनके जलते हुए शरीर को अपने हाथो से उठाकर वापस कैलास पर्वत कई और आने लगे तो पार्वती जी के कानो की मणि (बाली) इसी स्थान पर गिरी थी !
मान्यता है यह कुण्ड पाताल लोक से जुड़ा हुआ है !यहाँ मरने वाला हर व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है क्योकि हर काशी में हर मरने वालो के कानो में शिव स्वय तारक मन्त्र फूंकते है !
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