काशी के केदार खंड में स्थित है बाबा तिल भांडेश्वर का मंदिर । किवदंतियों के मुताबिक भगवान् शिव का ये लिंग मकर संक्रांति के दिन एक तिल के आकार में बढ़ता है । इसका वर्णन शिव पुराण धर्म ग्रन्थ में भी मिलता है । वर्त्तमान में इस लिंग का आधार कहाँ है ये तो कोई भी पता नहीं लगा पाया है ।अति प्राचीन ये शिवलिंग स्वयम्भू शिवलिंग है । मंदिर का निर्माण सैकड़ों वर्ष पहले हुआ था।पं अश्वनी चौबे ने बताया कि सतयुग से लेकर द्वापर युग तक यह लिंग हर रोज एक तिल बढ़ता रहा । लेकिन कलयुग के आगाज़ के साथ लोगों को यह चिंता सताने लगी की यदि भगवान् शिव ऐसे ही हर रोज बढ़ते रहे तो एक दिन पूरी दुनिया ही इस लिंग में समाहित हो जायेगी !तब लोगों ने यहाँ शिव की आराधना की , शिव ने प्रसन्न होकर दर्शन दिया और साथ ही यह वरदान भी दिया की हर साल मकर संक्रांति में मैं एक तिल बढ़कर भक्तों का कल्याण करूँगा ।इस मंदिर के साथ अनेक मान्यताये जुडी है कि वर्षों पहले इसी स्थान पर विभाण्ड ऋषि ने शिव को प्रशन्न करने के लिए तप किया था । इसी स्थान पर लिंग के रूप में बाबा ने उन्हें दर्शन दिया था । कहा ये भी जाता है की शिव ने दर्शन उपरांत विभाण्ड ऋषि से कहा था कलियुग में ये रोज तिलके सामान बढेगा और इसके दर्शन मात्र से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होगा।
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