Thursday, June 11, 2015

गौरी केदारेश्वर मंदिर

कहा जाता है की काशी प्राण त्यागने से मुक्ति मिलती है। यही नहीं काशी के केदार खंड में केदार मंदिर में दर्शन करने से इन्सान अपने प्राण कही त्यागे उसे भी मोक्ष की प्राप्ति होती है ।  पं पवन त्रिपाठी बताते है कि केदारेस्वर यानि जिनके मस्तक पर माँ गंगा विराजती है। कहा जाता है केदार खंड में शरीर त्यागने से पहले किसी भी  तरीके की पीड़ा नही होती और मोक्ष की प्राप्ति होती है । ऐसी मान्यता जुडी है कि राजा मान दाता हर वर्ष बाबा अमरनाथ का  दर्शन किया करते थे।  एक बार वो  काफी बीमार पड़े और दर्शन करने नहीं  जा पाए ।  राजा मान दाता हर रोज तब तक भोजन नही करते थे ,जब तक उनके दरवाजे कोई अथिति न आ जाये । राजा एक रोज खिचड़ी का भोग लगाकर अथिति का इंतजार करते रहे मगर कोई नही आया । बीमारी में भी उस दिन उन्होंने  उस दिन भोजन नही किया और कई दिनों तक भूखे रहे । राजा मान दाता के इस श्रधा और भक्ति को देखकर पहले कटोरे से भगवान शंकर और दुसरे से माँ गौरी प्रकट हुई । राजा मान दाता को स्वप्न आया था  कि  मेरा भोग केवल तुम सच्चे मन से लगाओ मै तुम्हे दर्शन दूंगा ।  ऐसा ही हुआ खिचड़ी के भोग से बाबा निकले थे। इसलिए खिचड़ी बाबा कहते है । मान्यता है की जब खिचड़ी से बाबा प्रकट हुए तो पाषाणवत यानि लिंग के रूप में आ गए जिसमे आज भी दो धार दिखती है मान्यता है की एक तरफ माँ गौरी और दूसरी तरफ स्वम भोले नाथ विराजते है।







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