मैदागिन मार्ग से आगे बढ़ने पर महादेव का दिव्य मंदिर है । शिव की नगरी काशी में तो कंकर कंकर में शिव का वास है । शिव ही यहाँ के आराध्य हैं और शिव ही लोगों की रक्षा और भरण पोषण करते हैं । शिव के इस आनंद वन में शिव के चमत्कारों की कोई कमी नही है। इस मन्दिर में भगवान् शिव का लिंग हर शिवरात्रि को जौ के एक दाने के बराबर बढ़ जाता है । मन्दिर के आस पास ऐसे लोगों की भी कमी नही है जिन्होंने इस शिव लिंग को अपने बचपन से बढ़ते हुए देखा है । ऐसी मान्यता है की इस मन्दिर में दर्शन करने से इस जन्म का ही नही बल्कि सात जन्मो का पाप कट जाता है । जागिश ऋषि की कठोर तपस्या से खुश होकर महादेव यहाँ प्रकट हुए थे। हर शिवरात्रि को बढ़ते -बढ़ते वर्तमान में इस शिवलिंग ने आदम कद प्राप्त कर लिया है । महंत आनंद मिश्र बताते है कि ऋषि के हठ ने ना सिर्फ महादेव को यहाँ बुलाया बल्कि हमेशा के लिए उन्हें यही विराजमान भी होना पड़ा । ऋषि ज़ब बिमारी की वज़ह से मौत के मुह में असमय ही चले जा रहे थे ,तब महादेव ने अपने प्रिय मदार के पुष्प से उनका इलाज़ भी किया था । बीमारी से ठीक होने को लोग मदार की माला चढ़ाते है ।
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