Thursday, June 11, 2015

बृहस्पति भगवान मंदिर

दशाश्मेध घाट मार्ग और बाबा विश्वनाथ के निकट ही गुरु मंदिर स्थित है। अति प्राचीन वृहस्पति मंदिर जहा भक्तो का ताता लगा रहता है । महंत ने बताया कि धार्मिक मान्यता है कि जब महादेव ने काशी को अपनी राजधानी बनाईं ,तो देव लोक से देवता भी मोक्ष नगरी काशी में वास  करने के लिए ललायित थे। सभी ने महादेव  से यथा स्थान के लिए अनुनय विनय किया । अवघड दानी ने यथा स्थान दिया भगवान वृहस्पति को जो सभी के गुरु है । महादेव ने काशी विश्वनाथ मंदिर से कुछ दूरी पर गुरु (बृहस्पति) को स्थान दिया ।  इनका सर्वोच्च स्थान होने के कारण देव गुरु का मंदिर सभी से उचा है।  जिससे सभी देव गन अपने  अपने  स्थान से नित्य  दर्शन करते है । देव गुरु बृहस्पति नौ ग्रहों में सर्व श्रेस्ठ ग्रह  है । धन, मंगल  और बुद्धि के देवता  होने के कारण इनको पीली वस्तुए काफी पसंद है । लिहाजा इनको भक्त पिला वस्त्र पिला प्रसाद चढाते है । भक्त यहा देव गुरु की पूजा कराते है और मंगल कार्य सिद्ध होने के लिए हाथो में पिली हल्दी पिला चन्दन लगाते है ।
जब ज्ञान को भाग्य का साथ मिल जाए तो फिर किसी सुख, ऐश्वर्य और वैभव की कमी नहीं रह जाती है। ज्ञान बढ़ाने के लिये बुद्धि और परिश्रम अहम होते हैं। धार्मिक दृष्टि से देवगुरु बृहस्पति की उपासना ज्ञान, बुद्धि, सौभाग्य, दाम्पत्य सुख देने वाली ही मानी गई है। 
गुरु बृहस्पति की उपासना के लिए गुरुवार का दिन बहुत ही शुभ होता है। ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक भी गुरु ग्रह शुभ ग्रह होता है। इसके अच्छे प्रभाव से व्यक्ति वैवाहिक सुख, धनलाभ और संतान सुख पाता है। किंतु इसके विपरीत गुरु दोष या बुरे प्रभाव से संतान पीड़ा, असफलता या अनिष्ठ का सामना  करना पड़ता है। 
अगर आप भी धन और सौभाग्य की कामना करते हैं तो नीचे बताई सरल विधि से गुरु उपासना करें - 
- सुबह नहाकर नवग्रह मंदिर में गुरु बृहस्पति की प्रतिमा को यथासंभव केसर के दूध या गंगाजल से स्नान कराएं। 
- देवगुरु की केसरिया गंध, अक्षत, पीली पूजा सामग्री, जिनमें पीले फूल, पीला वस्त्र, नैवेद्य में पीले पकवान शामिल हों, अर्पित करें। 
- देवगुरु की पूजा के बाद नीचे लिखे गुरु मंत्र का यथाशक्ति स्मरण करें - 
पीताम्बर: पीतवपु: किरीटी चतुर्भुजो देवगुरु प्रशान्त:।
यथाक्षसूत्रं च कमण्डलुञ्च दण्ड च विभ्रद्वरदोस्तु।। 
- पूजा व मंत्र जप के बाद पीली वस्तुओं जैसे चने की दाल करें, सक्षम होने पर सोने के दान का भी विधान है। 
- गुरु बृहस्पति की धूप व घी के दीप से आरती कर मनोवांछित इच्छाओं को पूरा करने की कामना करें। इस दिन व्रत रखना भी शुभ फल देता है


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