काशी में बुधवार और देश के अन्य भागों में रंगोत्सव यानी होली गुरुवार (24 मार्च) को मनाई जाएगी। मंगलवार की देर रात होलिका दहन होगा। ज्योतिषाचार्यों की मानें तो होली आने की सूचना होलाष्टक से प्राप्त होती है। फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर होलिका दहन तक के समय को धर्मशास्त्रों ने होलाष्टक नाम दिया है। मंगलवार को रााित्र 10 बजकर 52 मिनट से 12 बजकर नौ मिनट तक होलिका दहन होगा। काशी के कुछ पंचांगों ने होलिका दहन रात्रि तीन बजकर 19 मिनट पर भद्रा के पश्चात होलिका दहन को शास्त्र सम्मत बताया है। श्री गणपति ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के पंडित दीपक मालवीय बताते हैं, होलाष्टक 16 मार्च से शुरू हो गया है। होलाष्टक के दौरान शुभ कार्य पूरी तरह से प्रतिबंधित होता है। इसके पीछे धार्मिक के अलावा ज्योतिषीय मान्यता भी है। ज्योतिष के अनुसार अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी का शनि, एकादश की शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुद्ध, चतुर्दशी को मंगल तथा पूर्णिमा को राहु उग्र रूप लिए होते हैं। इससे पूर्णिमा के आठ दिन पूर्व मनुष्य का मस्तिष्क अनेक सुखद व दुखद आशंकाओं से ग्रसित रहता है। यही वजह है कि होली एक दिन का पर्व न होकर पूरे आठ दिन का त्योहार है।
No comments:
Post a Comment