होली की तिथि को लेकर देश में अलग-अलग कयास लगाये जा रहे हैं। काशी के ज्योतिषचार्यों की माने तो यहां पर 23 मार्च को ही होली होगी। जबकि देश के अन्य जगहों पर 24 मार्च को होली मनायी जायेगी।
ज्योतिषाचार्य पं.ऋषि द्विवेदी के अनुसार 23 मार्च को भोर में 3.19 बजे के बाद होलिका दहन होगा। काशी में भोर से ही धूलि वंदन करने के बाद होली का पर्व मनाया जायेगा। देश के अन्य जगहों पर चैत्र कृष्ण प्रतिपदा की उदयातिथि का इंतजार करेंगे और फिर होली मनायी जायेगी। धर्मशास्त्रों की माने तो प्रतिपदा, चतुर्दशी, भद्रा और दिन में होलिका दहन नहीं किया जा सकता है। प्रदोष के समय भद्रा व दूसरे दिन सूर्यास्त से पहले पूर्णिमा खत्म होती है तो भद्रा के समाप्त होने की प्रतीक्षा कर सूर्योदय से पहले होलिका दहन करने की परम्परा है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार 22 मार्च को दिन में 2.29 से भद्रा लग जायेगा और 23 मार्च को 3.19 तक भद्रा का मान रहेगा। इन परिस्थितयों में 22 व 23 मार्च को भोर में 3.19 बजे के बाद ही होलिका दहन किया जायेगा। पूर्णिमा तिथि 22 को दिन में 2.29 पर लग रही है यह अवधि 23 को शाम 4.08 बजे तक रहेगी।
काशी विद्वत परिषद् ने लगायी मुहर
काशी में 23 को होली होने पर काशी विद्वत परिषद् ने भी अपनी मुहर लगा दी है। काशी विद्वत परिषद् की बैठक में होली को लेकर मंथन किया गया है। इसमे कहा गया कि 23 मार्च को भोर में भद्रा नक्षत्र खत्म हो जाने के बाद ही होलिका दहन होगा और इसके बाद होली खेली जायेगी। इसके अतिरिक्त अन्य जगहों पर 24 मार्च को चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को ही होली खेली जायेगी। विद्वत परिषद् ने कहा कि परंपरा के अनुसार ही काशी में 23 को होली मनायी जायेगी। इस अवसर पर विद्वत परिषद् के अध्यक्ष प्रो.रामयत्न शुक्ल, महासचिव पं.कामेश्वर उपाध्याय, प्रो.शिवजी उपाध्याय, डा.रामनारायण द्विवेदी आदि विद्वान शामिल थे।
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