उत्तर प्रदेश के वाराणसी प्राचीन नाम कशी नगरी से २३वे तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ के गर्भ, जन्मा एवं तप कल्याणक हुए, यहीं पर स्वामी समन्तभद्र ने तपस्या की और स्वयम्भू स्तोत्र का पाठ कर शिव लिंग से चंद्रप्रभु की सुंदर मूर्ति प्रकट की थी. यहीं उन्होंने अपना भस्म रोग शांत कर पुन् दिगंबर दीक्षा ली एवं धर्मं की प्रभावना की
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