Sunday, January 31, 2016

काशी के कोतवाल

भगवान शिव की इस नगरी काशी के व्यवस्था संचालन की जिम्मेदारी उनके गण सम्भाले हुए हैं। उनके गण भैरव हैं जिनकी संख्या चौसठ है एवं इनके मुखिया काल भैरव हैं। काल भैरव को भगवान शिव का ही अंश माना गया है। इन्हें काशी का कोतवाल भी कहा जाता है। बिना इनकी अनुमति के कोई काशी में नहीं रह सकता। मान्यता के अनुसार शिव के सातवें घेरे में बाबा काल भैरव है। इनका वाहन कुत्ता है। इसलिए काशी के बारे में कहा भी जाता है कि यहां विचरण करने वाले तमाम कुत्ते काशी की पहरेदारी करते हैं। पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार एक बार अपनी वर्चस्वता साबित करने के लिए ब्रह्मा एवं विष्णु भगवान शिव की निंदा करने लगे। जिससे शिव जी अति क्रोधित हो गये। क्रोध में आकर शिव जी तांडव करने लगे जिसके प्रभाव से प्रलय जैसी स्थिति उत्पन्न हो गयी। इसी दौरान शिव जी में से उनकी भीषण स्वरूप वाली आकृति भैरव के रूप में उत्पन्न हुई। भगवान शिव के क्रोध से उत्पन्न भैरव ने अपने बांयें हाथ की अंगुली एवं दाहिने पैर के अंगूठे के नाखून से ब्रह्मा जी के पांचवे सिर को काट दिया। जिससे भैरव पर ब्रह्महत्या का पाप लग गया। ब्रह्महत्या के पाप से छुटकारा पाने के लिए भगवान शिव ने भैरव को एक उपाय बताया। उन्होंने भैरव को ब्रह्माजी के कटे कपाल को धारण कर तीनों लोकों का भ्रमण करने को कहा। ब्रह्महत्या की वजह से भैरव काले पड गये। भ्रमण करते हुए जब काल भैरव काशी की सीमा में पहुंचे इस दौरान उनका पीछा कर रही ब्रह्महत्या काशी की सीमा में प्रवेश नहीं कर सकी। ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त होने पर कालभैरव प्रसन्न हो गये और तभी से काशी की रक्षा मे लग गये। साथ ही उन्होंने काशी की सुरक्षा के लिए 9 चौकियां भी स्थापित की। बाबा कालभैरव का प्रसिद्ध मंदिर विश्वेषरगंज स्थित के 32/22 भैरवनाथ में है। बड़े से मंदिर परिसर में बाबा की दिव्य प्रतिमा स्थापित है। माना जाता है कि मार्ग शीर्ष के कृष्णपक्ष की अष्टमी को सायंकाल बाबा कालभैरव उत्पन्न हुए हैं। इस दिन को बाबा के जन्मोत्सव के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान बाबा की प्रतिमा का कई प्रकार के सुगन्धित फूलों से आकर्षक ढंग का श्रृंगार किया जाता है। इसी दिन को ही भैरवाष्टमी भी कहते हैं और इनकी वार्षिक यात्रा भी होती है। एक पैर पर खड़े बाबा कालभैरव काशी के दण्डाधिकारी हैं। प्रत्येक रविवार को बाबा कालभैरव के दर्शन-पूजन का विशेष विधान है। इस दिन काफी संख्या में भक्त दर्शन करने बाबा दरबार में पहुंचते हैं। वाराणसी में नियुक्त होने वाले तमाम बड़े प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारी सर्वप्रथम बाबा विश्वनाथ एवं काल भैरव का दर्शन कर आशीर्वाद लेते हैं। कालभैरव का मंदिर प्रातःकाल 5 से दोपहर डेढ़ बजे तक एवं सायंकाल साढ़े 4 से रात साढ़े 9 बजे तक खुला रहता है। मंदिर में सुरक्षा के भी समुचित उपाय किये गये हैं। पुलिस के जवान तो तैनात रहते ही हैं साथ ही मंदिर परिसर में सीसीटीवी कैमरा भी लगा हुआ है। मान्यता के अनुसार बाबा कालभैरव के दर्शन से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं। माना गया है कि बिना कालभैरव के दर्शन के बाबा विश्वनाथ के दर्शन-पूजन का फल प्राप्त नही होता है। कैन्ट स्टेशन से करीब पाँच किलोमीटर दूर यह मंदिर स्थित है। कैन्ट से ऑटो द्वारा मैदागिन पहुंचकर वहां से पैदल ही काल भैरव के मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।

1) भीषण भैरव– भीषण भैरव का मंदिर K 63/28 भूत भैरव, ज्येष्ठेश्वर के पास स्थित है। दर्शनार्थी इस मंदिर तक सप्तसागर या काशीपुरा से रिक्शे से पहुच सकते हैं। पूजा पाठ के लिए यह मंदिर सुबह छह बजे से दस बजे तक और शाम छह बजे से रात आठ बजे तक खुला रहता है।

2) संहार भैरव– संहार भैरव का मंदिर A 1/82 पाटन दरवाजा ,गायघाट के पास स्थित है। इस मंदिर तक मच्छोदरी से रिक्शा द्वारा पहुंचा जा सकता है। मंदिर दर्शन पूजन के लिए सुबह पांच बजे से 11 बजे तक और शाम पांच बजे से रात साढ़े नौ बजे तक खुला रहता है।

3) उन्मत्त भैरव– उन्मत्त भैरव का मंदिर पंचक्रोशी मार्ग के देवरा गांव में स्थित है। वाराणसी शहर से इस मंदिर की दूरी लगभग दस किलोमीटर है। यह मंदिर दर्शन पूजन के लिए हमेशा खुला रहता है।

4) चण्ड भैरव-चण्ड भैरव का मंदिर B 27/2 दुर्गा कुण्ड पर स्थित दुर्गा देवी मंदिर के पास है। मंदिर दर्शन पूजन के लिए हमेशा खुला रहता है। कैंट से मंदिर तक ऑटो या सिटी बस से करीब बीस मिनट में पहुंचा जा सकता है।

5) रूरू भैरव– रूरू भैरव का मंदिर B 4/16 हनुमान घाट पर स्थित है। हनुमान घाट हरिश्चन्द्र घाट के निकट ही है। सोनारपुरा चौराहे से मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। यह मंदिर सुबह पांच से दस बजे तक व शाम को पांच बजे से रात साढे़ नौ बजे तक खुला रहता है।

6) असितांग भैरव– असितांग भैरव का मंदिर K 52/39 महामृत्युंजय मंदिर, वृद्ध कालेश्वर के पास स्थित है। इस मंदिर में दिन भर दर्शनार्थी दर्शन पूजन कर सकते हैं।

7) लाट भैरव– कपाली भैरव मंदिर 1/123 अलईपुर में स्थित है। यह मंदिर सुबह छह बजे से 11 बजे तक और शाम छह से रात नौ बजे तक खुला रहता है। कपाल भैरव को ही लाट भैरव के नाम से भी जाना जाता है।

8) बटुक भैरव– क्रोधन भैरव को आदि भैरव के रूप में भी जाना जाता है। यह मंदिर B 31/126 कमच्छा स्थित कामाख्या देवी मंदिर के पास स्थित है। दर्शन पूजन के लिए यह मंदिर सुबह पांच से 12 बजे तक खुला रहता है। वहीं शाम को चार बजे से रात 12 बजे तक खुला रहता है। मंदिर में नियमित रूप से सुबह और शाम की आरती होती है।


Wednesday, January 27, 2016

Varanasi Railway Station Eve Of Republic Day

Varanasi Railway Station is decorated in tricolors lightning of Indian flag in the eve of Republic Day of India.


Tuesday, January 19, 2016

महामना एक्सप्रेस

प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के लोगों को मिलने वाली है नई सौगात। यह सौगात देने जा रहा है रेल मंत्रालय। मंत्रालय स्तर पर इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है। बस इंतजार है तो पीएमओ की हरी झंडी का। महामना मदन मोहन मालवीय के नाम पर चलने वाली इस ट्रेन का नाम होगा महामना एक्सप्रेस। सब कुछ सही रहा तो 22 जनवरी के बनारस दौरे के दौरान ही प्रधानमंत्री इस ट्रेन को दिखाएंगे हरी झंडी। अगर ऐसा होता है तो वाराणसी के प्रतिनिधि के तौर पर यह दूसरा मौका होगा जब वाराणसी से दिल्ली के लिए कोई ट्रेन मिलेगी। इससे पहले रेल मंत्री के तौर पर पंडित कमलापति त्रिपाठी ने काशीवासियों के लिए काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस की सौगात दी थी।
हफते में तीन दिन चलेगी महामना एक्सप्रेस
उत्तर रेलवे के अनुसार महामना एक्सप्रेस को दौड़ाने की पूरी तैयारी कर ली गई है। यह ट्रेन बनारस से शाम 6.35 पर रवाना होगी और अगले दिन सुबह 6.35 पर दिल्ली पहुंचाएगी। ट्रेन वाराणसी से सुल्तानपुर, मुरादाबाद होते दिल्ली तक जाएगी। इसमें कुल 18 डब्बे होंगे जिसमें से चार जनरल बोगी, एक सेकेंड एसी, नौ स्लीपर और एक पेंट्री कार की बोगी होगी। फिलहाल रेलवे ने जो प्लान बनाया है उसके मुताबिक हफ्ते में तीन दिन बनारस से दिल्ली जाएगी और इतने ही दिन दिल्ली से बनारस आएगी। बनारस से मंगल, गुरुवार और शनिवार को इसकी रवानगी है जबकि दिल्ली से सोम, बुद्ध और शुक्रवार को बनारस आएगी।
डीरेका मैदान से रिमोट से भी रवाना कर सकते हैं पीएम
रेलवे ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है। रेलवे बोर्ड के प्रस्ताव को रेल मंत्रालय की स्वीकृति मिल चुकी है। बस इंतजार है तो प्रधानमंत्री की मंजूरी की। वैसे रेल मंत्रालय लगातार पीएमओ के संपर्क में है। उन्होंने उम्मीद जताई की एक-दो दिन में पीएमओ की हरी झंडी मिल जाएगी। कहा कि प्रधानमंत्री डीरेका मैदान से रिमोट से भी महामना एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखा सकते हैं। उन्होंने बताया कि शिड्यूल चाहे जो हो उद्घाटन के लिए इसका कोई मतलब नहीं। पीएम शुक्रवार को महामना एक्सप्रेस को वाराणसी से रवाना कर सकते हैं। बाद में ट्रेन अपने निर्धारित शेड्यूल से चलेगी।
सामान्य किराया होगा
उत्तर रेलवे के अनुसार फिलहाल महामना एक्सप्रेस का किराया सामान्य ही होगा। लेकिन बाद में आधुनिक सुविधाओं के मद्देनजर किराए में बढ़ोत्तरी हो सकती है।
ये होगी खासियत
महामना एक्सप्रेस में ग्रीन टायलेट, एलईडी लाइट, रीडिंग लाइट, लैपटॉप-मोबाइल चार्जर, स्वच्छ पेयजल, पॉली विनाइल मैटेरियल से तैयार है कोच। सभी कोच अग्निरोधी होंगे। चलती ट्रेन में आग लगने की सूरत में कोच के भीतर नुकसान की आशंका न्यून होगी। सबसे खास यह कि ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों को झटके का एहसास भी नहीं होगा। कारण इसमें जर्कलेस बर्थ लगाई गई है।


Monday, January 18, 2016

Digamber Jain Temples in Varanasi

1) Shri Digambar Jain Teerth Kshetra
   Chandrapuri, Chandrawati, Varanasi
   Varanasi- 221010
   Uttar Pradesh

2) Shri Digambar Jain Temple
   Sarnath
   Varanasi- 221010
   Uttar Pradesh

3) Shri Digambar Jain Temple
   Bhelpura
   Varanasi- 221010
   Uttar Pradesh

4) Shri Digambar Jain Temple
   P.O.Bhelpura
   Varanasi- 221010
   Uttar Pradesh

5) Shri Digambar Jain Temple
   P.O.Khojva, Bhelpur, Varanasi, Uttar Pradesh
   Varanasi- 221004
   Uttar Pradesh

6) Shri Digambar Jain Temple
   P.O.Bhadauni, Teh. Shivala, Varanasi, Uttar Pradesh
   Varanasi- 221004
   Uttar Pradesh

7) Shri Digambar Jain Temple
   P.O.Kashi,Varanasi, Uttar Pradesh
   Varanasi- 221004
   Uttar Pradesh

8) Shri Digambar Jain Raja Darwaja Temple
   P.O.Kashi,Varanasi, Uttar Pradesh
   Varanasi- 221004
   Uttar Pradesh

9) Shri Digambar Jain Chaityalay
   P.O.Kashi,Varanasi, Uttar Pradesh
   Varanasi- 221004
   Uttar Pradesh

10) Shri Digambar Jain Temple
    P.O.Medgiri,Varanasi, Uttar Pradesh
    Varanasi- 221004
    Uttar Pradesh

11) Shri Digambar Jain Hira Pratima Chaityalay
    P.O.Kashi,Varanasi, Uttar Pradesh
    Varanasi- 221004
    Uttar Pradesh

12) Shri Digambar Jain Temple
    P.O.Kashi,Varanasi, Uttar Pradesh
    Varanasi- 221004
    Uttar Pradesh

13) Shri Digambar Jain Temple
      P.O.Kashi,Varanasi, Uttar Pradesh
     Varanasi- 221004
      Uttar Pradesh

14) Shri Parshvnath Digambar Jain Temple
      B-20/46, jain Temple, P.O.Bhelpura,Varanasi, Uttar Pradesh
     Varanasi- 221004
     Uttar Pradesh

Saturday, January 16, 2016

New Monga Restaurant

New Monga Restaurant being very oldest restaurant of varanasi since 40 Years. A perfect place for real and authentic south Indian cuisine. It's specialty is its Moonga Chat dosa n idli. Very reasonable restaurant.It is situated in Dashashwamedh Ghat Rd, Goodowlia. Servicing is good and they also take full care of hygiene.



मां तुलजा-दुर्गा दरबार रामेश्वर

मां तुलजा-दुर्गा दरबार रामेश्वर तीर्थ धाम में ही महाराष्ट्र के मराठों की देवी मां तुलजा व साथ में दुर्गा मंदिर है जहां आस्था का संगम मिलता है। जन-जन दुखियारी मत्था टेकते हैं। इन्हें कल्याणदायिनी अंबे नाम से पुकारा जाता है। यहां औरंगजेब मुगल भी शक्ति के प्रभाव के आगे पनाह मान भाग खड़ा हुआ था। ऐसी मान्यता है कि इस धर्म स्थल पर हाजिरी लगाने वाले की मुराद पूरी होती है।


  

Prakash Theater

Prakash Theater is located in Lahurabir Varanasi and is closed now.





Kapoor Theater

Kapoor Theater also called Filmistaan is located in Ghausabad,Nadesar, Varanasi and is closed now.




Parshvanath Jain Temple

The Parshvanath Jain temple, Varanasi is temple of Jain religion dedicated to Parshvanath, the 23rd Thirthankara who was born at Bhelpur in Varanasi. The idol deified in the temple is of black colour and 75 cm in height. It is located in Bhelapur about 5 km from the center of Varanasi city and 3 km from the Benares Hindu University. It belongs to the digambara sect of Jainism and is a holy tirtha or pilgrimage centre for Jains.







श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन तीर्थक्षेत्र भेलपुर

उत्तर प्रदेश के वाराणसी प्राचीन नाम कशी नगरी से २३वे तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ के गर्भ, जन्मा एवं तप कल्याणक हुए, यहीं पर स्वामी समन्तभद्र ने तपस्या की और स्वयम्भू स्तोत्र का पाठ कर शिव लिंग से चंद्रप्रभु की सुंदर मूर्ति प्रकट की थी. यहीं उन्होंने अपना भस्म रोग शांत कर पुन् दिगंबर दीक्षा ली एवं धर्मं की प्रभावना की







St.Thomas Church (Girjaghar)

In the heart of the holy city of Banaras, which is the centre of Hindu pilgrimage, there lies a centuries-old St Thomas Church in Godowlia. This church has popularised the area as 'Girija Ghar crossing'. However little is known about the history of this church lying in the domain of Hindu dominating area of the city.
According to father Stevens of the church, there are no inscription on the walls of this church that can inform them about the time when it had been built.
"It is believed that Saint Thomas, also known as Didymus, one of the 12 apostles of Jesus Christ, visited the city roughly during 52 AD to 72 AD," infomed father Stevens.
According to Stevens, Saint Thomas was the only apostle of Jesus who went outside Roman Empire to preach the Gospels and spread Christianity. He is believed to cross the Arabian Sea and sailed to India in 52 AD at Kerala where he spread Christian faith among Jews.
"Banaras was also on the itinerary of Saint Thomas apart from many other old cities most of which were South Indian cities, and it is believed that he came to preach people that this place when the present congested area of the city has nothing except thousands of temples and the Ganga. That particular peace of land became the place of worship thereafter leading to the formation of the St Thomas Church, so one can realise how old the age of the church is," said Stevens.
"The church with its present structure is not built after 1700 AD as its bricks suggest," added David, a worshipper at the church.
It is worth mentioning here that the church is a protestant church comes under Churches of North India (CNI), Diocese of Lucknow.
"The 60 ft height of the church was the tallest in the area since the time of my great grand parents," added Kisan, a tea vendor outside the church.
"The walls of the church were losing its texture until a few years back when it was painted in traditional light yellow and white colour of protestant churches," said Ravi, another devotee.
The city has always been an epitome of composite cultures and the history of the St Thomas Church related with an apostle of Jesus and its presence in an entirely Hindu domain is another milestone that reflects the unity in diversity of the city.


Thursday, January 14, 2016

Khichdi Baba Temple

Khichdi Baba Temple Is Located In Dashashwamedh Road near Kashi Viswanath Temple.



Wednesday, January 13, 2016

Spice Kcm

Spice kcm (Kanhaiya Chitra Mandir) is a cineplex situated in godowlia varanasi.In spice kcm u can enjoy indian and chinese fast food in spice cafe also available.

Blue Lassi Shop

Blue Lassi Shop Located In Chowk,Kachuari Gali.Best flavoured lassi one can have. More than 90 different combinations of fruit flavoured lassi available. A must try in Varanasi.

Sunday, January 10, 2016

राज्य स्तरीय खादी प्रदर्शनी

तेलियाबाग स्थित खादी ग्रामोद्योग आयोग कार्यालय में लगे खादी मेले में यूं तो तकरीबन हर ट्रेण्ड हर वेराइटी के कपड़े मौजूद हैं। पर क्रेज पीएम नरेन्द्र मोदी के स्टाइल का है। मेले में आने वालों में से ज्यादातर की डिमांड मोदी स्टाल सदरी ही है। इसके अलावा उनके स्टाइल में ही कुर्ता भी लोगों की खास पसन्द बना हुआ है। उनके पीएम बनने के बाद सदरी का जो क्रेज बढ़ा वह लगातार जारी है। शायद यही वजह है कि जिन्होंने मेले में साड़ी और कम्बल वगैरह के स्टॉल लगाए हैं, उनके स्टॉल में भी मोदी सदरी जरूर है। आयोजकों का तो दावा है कि महज तीन दिन में ही पांच हजार से ज्यादा सदरी बिक चुकी है। इसकी एक वजह यह भी है कि यहां मिलने वाली खादी की सदरियां गुणवत्ता में तो बेस्ट हैं ही कीमत भी मुनासिब है। यही वजह है कि लड़कियों में भी सदरी का जादूर सिर चढ़कर बोल रहा है।
प्रदर्शनी में कुल 70 स्टॉल लगे हैं। हर स्टॉल पर तमाम तरह के खादी व सिल्क के उत्पाद मौजूद हैं, लेकिन हर दुकानदार दिन भर में सबसे ज्यादा सदरी बेचने और दिखाने में ही मशगूल हैं। दुकानदारों की मानें तो हर दूसरा ग्राहक सदरी की डिमांड कर रहा है। वैसे तो हर स्टॉल पर अलग-अलग उत्पाद मिल रहे हैं। पर सदरी हर स्टॉल में मिल जाएगी। लड़किया भी सदरी खरीदने में रूचि दिखा रही है।

सदरी की हैं कई वेराइटीज
देश के हर प्रान्त की सदरियां खादी मेले में मौजूद हैं। ऊनी, रेशमी और काटन समेत हर वेराइटी की सदरी मेले में खरीदी जा सकती है। इसके अलावा राजस्थानी होजरी की सदरी भी मेले का आकर्षण है। चूंकि पीएम रंग-बिरंगी सदरी पहनते हैं इसलिये मेले में टू-इन-वन कलर की सदरी भी मौजूद है ताकि कम बजट में लोग ज्यादा से ज्यादा रंगों की सदरी पहनने का अपना शौक पूरा कर सकें। स्टॉल संचालक बताते हैं कि कलरफुल और टू इन वन सदरियों की डिमांड ज्यादा है। इसके अलावा खादी की फुल जैकेट भी डिमांडेड है।

प्रदर्शनी में 30 प्रतिशत की छूट
ठण्ड में सदरी की कीमतों में जहां बड़ी कम्पनियों ने इजाफा कर दिया है, वहीं खादी ग्रामोद्योग आयोग के खादी मेले में इसके दाम काफी कम हैं। इतना ही नहीं मेले में 30 प्रतिशत की छूट भी दी जा रही है। मेले में पांच सौ से लेकर ढाई हजार रुपये तक की सदरी बिक रही है।

खादी शर्ट का भी है क्रेज
खादी ग्रामोउद्योग ने युवाओं को ध्यान में रख कर खादी के कपड़े की बिल्कुल मार्डन स्टाइल में तैयार कराए हैं। इसमें खास है स्टाइलिश खादी शर्ट। युवाओं के लिये यह पहली पसन्द बनी हुई है। इसके अलावा प्रदर्शनी में खादी के शॉल, चादर, कम्बल, साड़ी, सूट, अगरबत्ती, प्रतापगढ़ के प्रसिद्ध आवले का प्रोड्कट आदी कि बिक्री जोरों पर हो रही है।