Thursday, December 3, 2015

भैरव अष्टमी

मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी काल भैरवाष्टमी के रूप में मनाई जाती है। इस दिन भगवान महादेव ने कालभैरव के रूप में अवतार लिया था। 
कालभैरव भगवान महादेव का अत्यंत ही रौद्र, भयाक्रांत, वीभत्स, विकराल प्रचंड स्वरूप है। भैरवजी को काशी का कोतवाल भी माना जाता है। कालभैरव के पूजन से अनिष्ट का निवारण होता है।
* काल भैरवाष्टमी के दिन मंदिर जाकर भैरवजी के दर्शन करने से पूर्ण फल की प्राप्ति होती है। 
* उनकी प्रिय वस्तुओं में काले तिल, उड़द, नींबू, नारियल, अकौआ के पुष्प, कड़वा तेल, सुगंधित धूप, पुए, मदिरा, कड़वे तेल से बने पकवान दान किए जा सकते हैं।
* उन्हें जलेबी एवं तले पापड़ या उड़द के पकौड़े का भोग लगाने से जीवन के हर संकट दूर होकर मनुष्य का सुखमय जीवन व्यतीत होता है।
कालभैरव के पूजन-अर्चन से सभी प्रकार के अनिष्टों का निवारण होता है तथा रोग, शोक, दुखः, दरिद्रता से मुक्ति मिलती है। 
कालभैरव के पूजन में उनकी प्रिय वस्तुएं अर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। भैरवजी के दर्शन-पूजन से सकंट व शत्रु बाधा का निवारण होता है।
भैरव अष्‍टमी के दिन भैरवजी के वाहन श्वान को गुड़ खिलाने का विशेष महत्व है। दसों दिशाओं के नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति मिलती है तथा पुत्र की प्राप्ति होती है। 
काशी के कोतवाल काल भैरव समेत भोले की नगरी में स्थापित सभी आठ भैरव पीठों में गुरुवार को उत्सव जैसा माहौल रहा। मौका था भैरव अष्टमी का। कमच्छा स्थित बटुक भैरव मंदिर में गुब्बारे से स्वागत द्वार बनाया गया था। यहां बाबा का सवा करोड़ रुद्राक्ष के मनकों से शृंगार किया गया। जगह-जगह सांस्कृतिक प्रस्तुतियां हुईं। 
सुबह पांच बजे मंगला आरती के बाद बटुक भैरव का 11 बटुकों ने रुद्राभिषेक किया। दिन के करीब 10 बजे बाबा का विशेष स्नान हुआ। दोपहर भोज में 1008 बटुकों ने हिस्सा लिया। इसमें अन्नपूर्णा मंदिर, धर्म संघ शिक्षा मंडल, रुक्मिणी विद्यालय, भारती विद्यालय, रणवीर संस्कृत विद्यालय के बटुक शामिल हुए। इसके बाद अखंड भंडारा आरंभ हो गया। शाम पांच बजे बाबा का रुद्राक्ष की माला से शृंगार हुआ। करीब सवा करोड़ रुद्राक्ष के मनकों से मंदिर के गर्भगृह और परिसर को सजाया गया। अन्नकूट की झांकी में छप्पन भोग अर्पित किया गया। 560 किलो के छप्पन भोग में 105 किलो काजू, 100 किलो पिस्ता की बर्फी और बाकी खोवा, छेना की मिठाइयां थीं। शाम सात बजे भैरव सहस्त्रनाम, दुर्गा सहस्त्रनाम, भैरव कवच से हवन हुआ। रात 11 बजे पंचमकार पूजन के दौरान बाबा को मदिरा का भोग अर्पित किया गया। केक रात 12 बजे महंत भास्कर पुरी, राकेश पुरी ने काटा। शीतला घाट स्थित गुफा में काल भैरव का शृंगार महंत शिव प्रसाद पांडेय लिंगिया महाराज की मौजूदगी में किया गया। उप महंत अविनाश पांडेय सुट्टू महाराज ने महाआरती की। आस भैरव, आदि भैरव, आनंद भैरव, लाट भैरव समेत शहर के भैरव मंदिरों में भक्तों का दर्शन-पूजन के निमित्त तांता लगा रहा। भैरव मंदिरों में महंगे ब्रांड की वाइन चढ़ाने के लिए भक्तों में होड़ मची रही। बटुक भैरव को चढ़ाने को रेड लेबल की पांच लीटर की स्कॉच लखनऊ से मंगाई गई। दोपहर के वक्त बाबा बटुक भैरव को स्नान कराने के बाद ऊलेन वस्त्र पहनाया गया। इसी के साथ महंत परिवार में ऊनी वस्त्र पहनने का श्रीगणेश हो गया।शिवाला स्थित दीपक भैरव का गेंदा, गुलाब, रजनीगंधा के फूलों से शृंगार के बाद देर रात तक भजनों की प्रस्तुति हुई। पुजारी बब्लू पाठक, गोविंद कन्नौजिया के अलावा मोहल्ले के तमाम युवकों का उत्साह देखते बन रहा था। शाम को लतर और दीयों से दीपावली जैसा माहौल था।



No comments: