काशी से दस किलोमीटर दूर स्थित नीची रेन शययू नाम का भगवान बुद्ध का भव्य मंदिर है, जैसा कि जापान के क्योटो में है। सारनाथ में यह मंदिर करीब 28 साल पहले 1986 में होजो सासकी ने बनवाया था। उसका मानना था कि जापान में बौद्ध धर्म भारत से ही गया है। इसके बाद वहां खुशहाली आई।
जानकारी के अनुसार, जापान के रहने वाले होजो सासकी ने भारत के प्रति कृतज्ञता जाहिर करने के लिए इस मंदिर को बनवाया ताकि दोनों देशों के बीच बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार हो सके। यही वजह है कि इस मंदिर के बाहर जापानी शैली में स्थापित रक्षक सील स्तंभ है। मंदिर के अंदर चंदन की लकड़ी से बने भगवान बुद्ध की मूर्ति है। यहां एक बड़ा आसन बना है जिस पर केवल जापानी गुरु ही बैठते हैं। वहीं, इस मंदिर में पूजा के समय घंटा बजाने के लिए जापानी शैली का घंटा भी मौजूद है।
जानकारी के अनुसार, जापान के रहने वाले होजो सासकी ने भारत के प्रति कृतज्ञता जाहिर करने के लिए इस मंदिर को बनवाया ताकि दोनों देशों के बीच बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार हो सके। यही वजह है कि इस मंदिर के बाहर जापानी शैली में स्थापित रक्षक सील स्तंभ है। मंदिर के अंदर चंदन की लकड़ी से बने भगवान बुद्ध की मूर्ति है। यहां एक बड़ा आसन बना है जिस पर केवल जापानी गुरु ही बैठते हैं। वहीं, इस मंदिर में पूजा के समय घंटा बजाने के लिए जापानी शैली का घंटा भी मौजूद है।
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