देवी मां का छठवा स्वरूप कात्यायनी देवी है। काशी में इनका मंदिर सिंधिया घाट मोहल्ले में है। माना जाता है कि देवी मां ने महर्षि कात्यायन की बेटी के रूप में अवतार लिया था। इसलिए उनका नाम कात्यायनी पड़ा ऋषि कात्यायन ने लगातार सप्तमी, अष्टमी और नवमी तक इनकी पूजा की थी। दशमी के दिन देवी ने महिषासुर का वध किया था। इनका स्वरूप भव्य और दिव्य है। इनकी अराधना से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कहा जाता है कि रुक्मिणी ने भी कात्यायनी देवी की आराधना कर कृष्ण को पति के रूप में पाया था।
No comments:
Post a Comment