गंगा सप्तमी के बाद पड़ने वाले पांच दिवसीय नरसिंह लीला का मंगलवार की रात्रि से शहर के प्रह्लाद घाट पर शुरूआत हुई।
इस बारे में बात करते हुए लीला समिति के अध्यक्ष मोहित उपाध्याय ने बताया कि यह लीला सैंकड़ों वर्ष पुरानी है, जिसे काशी के कलाकार प्रह्लाद घाट पर जीवंत करते आ रहे हैं। नरसिंह लीला के पहले दिन जय- विजय के श्राप की लीला दर्शायी गयी।
पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु बैकुंठ में विश्राम कर रहे थे। उसी समय 5 बाल ऋषियों का समूह भगवान से विष्णु से मिलने आया, जिसपर उनके द्वारपाल जय और विजय ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया। इस पर क्रोधित ऋषि- मुनियों ने दोनों को श्राप दिया कि तुम दोनों जन्म- जन्मान्तर तक राक्षस योनि में ही पैदा होंगे। इसके बाद उन दोनों की विनती से तीन जन्मों के बाद भगवान विष्णु के हाथों उद्धार की बात ऋषियों ने कही।
लीला में दिखाया गया है कि इन दोनों का जन्म हिरणाक्ष और हिरणकश्यप के रूप में हुआ, जिनके उत्पात से परेशान जनता और देवताओं ने भगवान विष्णु से आकाशवाणी के द्वारा मुक्ति दिलाने की बात कही। इस मौके पर काशी की जनता प्रह्लाद घाट पर जमी रही।
गंगा किनारे मंगलवार की रात खंभे से नरसिंह रूप में प्रकट हुए भगवान ने अत्याचार के प्रतीक हिरण्य कश्यप का वध किया। भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए नरसिंह अवतार होने के बाद गगनभेदी जयकारे गूंजने लगे और लोगों ने जमकर पुष्पवर्षा की। इस दौरान घाट से लेकर आसपास के मोहल्लों को भी बिजली की रंग-बिरंगी झालरों से सजाया गया था।
प्रह्लाद घाट पर लीला के तीसरे दिन हिरण्य कश्यप वध देखने के लिए आसपास के इलाके के दर्शकों की भीड़ उमड़ पड़ी। घाट की सीढ़ियों पर बैठने की जगह नहीं थी। मंच पर हिरण्य कश्यप भगवान की भक्ति में लीन अपने पुत्र प्रह्लाद को तरह-तरह की यातनाएं देता है और दबाव बनाता है कि वह भगवान की बजाय उसका नाम लेना शुरू कर दे। हिरण्य कश्यप अंतत: प्रह्लाद को करीब 15 फीट ऊंचे खंभे से बांध देता है। वह पूछता है कि बताओ तुम्हारे भगवान कहां हैं? तुम्हारा वध होने से अब कौन बचाएगा? प्रह्लाद कहते हैं कि भगवान कण-कण में हैं। इस खंभे में भी भगवान हैं और वे मेरी रक्षा के लिए जरूर आएंगे। इसी दौरान आकाशवाणी होती है कि भक्त की जान खतरे में है, प्रभु बिना विलंब किए उसकी रक्षा करें। इसी के साथ खंभे से नरसिंह रूप में भगवान प्रगट हो जाते हैं। जयघोष के बीच हिरण्य कश्यप के पुतले का सीना फाड़कर नरसिंह भगवान उसका वध कर देते हैं। नरसिंह भगवान की भूमिका राहुल उपाध्याय ने की। हिरण्य कश्यप का किरदार बिल्लू साहनी ने और भक्त प्रह्लाद की भूमिका शशांक द्विवेदी ने निभाई।
नरसिंह चतुर्दशी पर मंगलवार को प्रह्लाद घाट स्थित लक्ष्मी-नरसिंह मंदिर को भव्य सजाया गया। इस दौरान विग्रहों की झांकी भी सजाई गई। महंत दंडी स्वामी नारायणाचार्य महाराज ने भक्तों को आशीर्वाद दिया। भंडारे में सैकड़ों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।
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