Sunday, August 16, 2015

श्री बनखण्डी महादेव

सावन के महीने में देश-विदेश से लाखों भक्त बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए काशी पहुंचते हैं। पूरे महीने वाराणसी के मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।श्री बनखण्डी महादेव जी का मंदिर 30 फीट व्यास और 55 फीट ऊंचा शिवलिंगाकार है। भदैनी स्थित वनखंडी साधुबेला आश्रम द्वारा बनवाया गया ये मंदिर परंपरागत शैली से अलग है।
इस मंदिर का शिलान्यास आश्रम के महंत राजर्षिआचार्य गणेशदास ने 1993 में किया था, जो 1998 मई में बनकर तैयार हुआ। ये शिवलिंगाकार मंदिर 100 फीट गुने 50 फीट के भूखंड पर स्थापित है। जमीन से 10 फीट ऊंचे और आठ स्तंभों पर बने मंदिर में जाने के लिए अर्धचंद्राकार 21 सीढ़ियां हैं।
महंत गौरी शंकरदास महाराज ने बताया कि पूरा मंदिर शिवलिंग के आकार का बना है। काशी में नागर, वेसर और द्रविड़ शैली के मंदिर ज्यादा हैं। इस मंदिर में तीन द्वार हैं, जो लिंगाकार हैं। गर्भगृह के बीच में उत्तरमुखी अरघे में शिवलिंग स्थापित है। वहीं, चारों तरफ राधा-कृष्ण, गणेश, हनुमान और दुर्गा की प्रतिमा स्थापित है।
जयपुर के कारीगरों ने किया मंदिर का निर्माण
मंदिर का निर्माण जयपुर के कारीगरों द्वारा किया गया है। यहां स्थापित मूर्तियां भी इसी शहर से लाई गई हैं। इस मंदिर को बनाने में कुल 45 लाख रुपए खर्च हुए। बता दें कि इस आश्रम की स्थापना 1818 में स्वामी वनखंडी महाराज ने की थी। उन्हीं के नाम पर मंदिर का नाम 'वनखंडी' रखा गया। ये आश्रम उदासीन संप्रदाय की एक शाखा है। महंत बताते हैं कि अब भक्तों को दूर से ही शिवलिंग के दर्शन हो सकेंगे। लिंगाकार मंदिर को इस तरह बनाने का मकसद सिर्फ यही है कि भक्त आसानी से महादेव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।











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