शोक विमोचन हनुमान जी का मंदिर कमच्छा में मुख्य सड़क के किनारे स्थित है। छोटे से मंदिर में शोक विमोचन की दिव्य प्रतिमा स्थापित है। कहा जाता है कि यह प्रतिमा काफी प्राचीन है। पहले इस क्षेत्र में वन था। मान्यता के अनुसार किसी बाबा को हनुमान जी की यह प्रतिमा वन से ही मिली। जिसे उस बाबा ने कमच्छा पर स्थापित कर दिया। मंदिर में हनुमान जी की बड़ी प्रतिमा के दाहिनी ओर स्थापित छोटी सी हनुमान जी की प्रतिमा को लोग काफी प्राचीन मानते हैं। मंदिर परिसर में ही काफी पुराना विशाल पीपल का वृक्ष है जिस पर शनिदेव की आकृति बनी है। पीपल के वृक्ष के पास प्रायः भक्त दीप जलाते हैं। मान्यता के अनुसार शोक विमोचन के दर्शन-पूजन से जीवन में किसी प्रकार का कष्ट नहीं आता एवं कभी भी मन शोकपूर्ण नहीं होता है। शोक विमोचन मंदिर में हनुमान जयंती धूम-धाम से मनायी जाती है। इस मौके पर मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया जाता है। इस दौरान काफी संख्या में भक्त उपस्थित होकर भजन-कीर्तन करते हैं। सावन महीना भी मंदिर के लिए खास होता है। इस दौरान शोकविमोचन जी का वार्षिक श्रृंगार बेहद ही आकर्षक ढंग से किया जाता है। हनुमान जी के इस महत्वपूर्ण मंदिर में मंगलवार एवं शनिवार को काफी संख्या में भक्त मत्था टेकते हैं। सड़क किनारे होने की वजह से सड़क चौड़ीकरण के दौरान 4 अगस्त 1976 को इस मंदिर को तोड़ दिया गया था। इसके बाद क्षेत्रीय लोगों के सहयोग एवं दानदाताओं के चंदे से 10 दिसम्बर 1978 को इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया, जिसका उद्घाटन 14 फरवरी 1980 को महाशिवरात्रि के दिन हुआ। यह मंदिर प्रातःकाल 5 से दोपहर 11 बजे तक एवं शाम 4 से रात 9 बजे तक दर्शनार्थियों के लिए खुला रहता है। शोक विमोचन की आरती सुबह 8 बजे एवं सायंकाल 7 बजे सम्पन्न होती है। इस मंदिर के वर्तमान पुजारी लक्ष्मण पाण्डेय हैं। कैंट स्टेशन से करीब 3 किलोमीटर दूर स्थित इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आटो द्वारा रथयात्रा चौराहे पर पहुंचकर वहां से पैदल ही कमच्छा की ओर बढ़ने पर कुछ ही दूरी पर रोड के किनारे दाहिनी ओर मंदिर स्थित है।
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