Sunday, May 31, 2015
Friday, May 29, 2015
Saint Kabir Das Khadau
The khadau of the Kabir is kept in the Kabir Math located at Lahartara, Varanasi in Smriti Kaksh. Mahatma Gandhi, during his struggle for the India freedom, had visited the math of Kabirchaura in the year 1934. He revealed the deep sorrow for the disgraceful situation of khadau of the Sant Kabir. After that, math members provide safety and kept the khadau of Kabir in a glass case.
Sunday, May 24, 2015
Nagar Nigam
Varanasi Nagar Nigam was established on 24-01-1959 under the act of Uttar Pradesh Government i.e, Municipal Corporation Act of 1959 as a Nagar Mahapalika. In 1994 it was converted in to Nagar Nigam under the U.P. Government act -2.Within its jurisdiction are some of the most densely populated areas in the world. It has also the unique distinction of providing civic services to rural and urban villages, Resettlement Colonies, etc. The total wards under Varanasi Nagar Nigam is 90. At present total area under Varanasi Nagar Nigam is 79.79 Sq. Kms. The Municipal Board was constituted for the first time in 1959 with Shri. Kunj Bihari Gupta as Mayor and Shri. P.K. Kaul as Municipal Commissioner. The total length of road under Varanasi Nagar Nigam is 1170 K.M and it is graded as B1 city rank. Its total population was 10 Lacks 91 thousand 918 as census 2001.
जादूगर शिव कुमार का काशी नगरी पर जादू
वाराणसी वासियों को इन दिनों जादुई कला के हैरतंगेज़ कारनामे देखने को मिल रहे हैं। विख्यात जादूगर शिव कुमार ने शनिवार को नगर निगम प्रेक्षागृह में एक कबूतर को पहले खरगोश बना दिया और फिर उसे शून्य में गायब कर दिया। दर्शक यह जादू देखकर दंग रह गए। जादूगर शिव कुमार ने गंगा नदी की निर्मलता बनाए रखने की अपील के साथ बेहद रोचक करतब दिखाते हुए गंदे पानी को पुन: स्वच्छ बना कर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को गति देना वक्त का तकाज़ा है। दर्शकों ने इस करतब को जमकर सराहा और शिव कुमार जादूगर ने प्रशंसाएं बटोरीं।
काशी के लोगों को यह मनोरंजन बहुत मन भा रहा है। समाज में भ्रांतियों के प्रति जागरूकता पैदा करने वाले और शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक एकीकरण को आदर्श तरीके से प्रस्तुत करने वाले जादू का लोग सपरिवार आनंद ले रहे हैं। मैजिक विद मिशन का प्रदर्शन करते हुए जादूगर शिव कुमार का यूं तो हर करतब ही मनोरंजन से भरपूर है, पर बरमुडा ट्रायंगल डेथ चैलेज स्टंट देख दर्शकों को एक बार अपनी ही आंखों पर यकीन करना मुश्किल हो गया। इस करतब में एक त्रिभुजाकार बॉक्स में बंद कर जादूगर शिव कुमार ने अपने को हवा में लटका दिया और तभी एक धमाके के साथ बॉक्स टूट गया और जादूगर हवा में दिखाई दिया। जादू शो के आयोजक आनंद तिवारी ने बताया कि पूरे एशिया में स्टंटमैन शिव कुमार ही इस डेंजरस स्टंट को दिखाते हैं, यह इनका विश्व प्रसिद्ध करतब है, जो वाराणसी के कला प्रेमी दर्शकों को भी मोहित कर रहा है। दर्शकों की भारी संख्या को देखते हुए शनिवार व रविवार को तीन शो रखे गए हैं।
मैजिक स्टार शिव कुमार के इस शानदार लाइव मैजिक शो में म्यूजिक और फैशन का भी मोहक नजारा सुनने और देखने को मिलता है। तिलिस्मी जादू और सम्मोहन की दुनिया में फैशन नए ज़माने का जलवा बन गया है तो इसके कारण भी हैं कि यह ज़माने के बदलाव के साथ शो में हो रहे परिवर्तन का प्रतीक है। भारतीय जादूगरी की ओर एक बड़े दर्शक वर्ग को खींचने वाले जादूगर शिव कुमार अगर मंच पर शानदार ड्रेस पहनकर उतरते हैं तो उनके सहयोगी कलाकार भी ग्लैमरस पोशाकें पहनकर जैसे रैंप पर उतर रहे हों। यहां मनोरंजन के कई रूप एक साथ देखने को मिल रहे हैं। जादू भी हाईटेक दुनियां के साथ चल रहा है और इसकी खास बात यह है कि ये दर्शकों को पूरे कार्यक्रम में जोड़े रखने में कामयाब है। ग्लैमर को जादू खूबसूरती से कला में शामिल किया गया है। यदि शिव कुमार के जादुई मनोरंजन पर प्रतिक्रियाएं सुनी जाएं तो यह खेल फिल्मी मनोरंजन से भी आगे दिखाई दे रहा है।
जादू में मिस्र का तड़का हो तो जादूगर शिव कुमार साफे और मोतियों की माला वाली पोशाक में होते हैं और चीन और जापान से जुड़े दृश्यों को दिखाना हो तो वह वहां के पारंपरिक परिधान में होते हैं। मुगल काल की ड्रेस भी उनके जादू का हिस्सा है तो नवाबों की भी उनमें झलक मिलती है। उसपर डांस और म्यूज़िक उनके कार्यक्रम को और खूबसूरत बना देता है। जादू के मंच पर जलवे बिखेरने वाली परियों की ड्रेस और उनकी अदाएं भी किसी सुपर मॉडल से कम नहीं हैं। जादुई शो में इनकी भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण है। अलवर वासियों के लिए तो यह शो मनोरंजन का मुख्य आकर्षण बन गया है। जादूगर शिव कुमार के दो घंटे के शो में 250 से अधिक पोशाकों का प्रयोग होता है। शिव कुमार व जूनियर शिव कुमार ही 70 पोशाकें बदलते हैं। बेशकीमती कपड़े शनील और साटन से तैयार होते हैं। खूबसूरत किनारी गोटा और जरी के साथ टंके मोती, कुंदन एवं नगो का प्रयोग आधुनिक फैशन डिजाइनरों को भी मात देता है।
जादूगर शिव कुमार ने कई टीवी फिल्म कलाकारों के लिए भी अपने यहां से ड्रेसेज़ दी हैं और बड़े-बड़े फैशन डिजाइनर्स भी उनके फोटो खींच कर ले जाते रहे हैं। जादू के इस कमाल में कपड़ों की करामात भी कोई कम नहीं होती है, क्योंकि जब जादू सामने होता है तो लोग उसमें भी उलझे रह जाते हैं। राजा-महाराजा, शेख-फकीर, जादूगर आदि के ड्रेस पर आज का फैशन फेल हो गया है और इसे देख लोग एक बारगी अपने पुरातन बिरसों को याद कर उठते हैं। खास बात यह है कि ये ड्रेसेज़ अब कहीं मार्केट में नहीं हैं और ना ही इनकी डिजाइनिंग संभव है। इसके बावजूद जादूगर इस फैशनेबल लिबास को आज भी जीवित रखे हुए हैं। जादू की कला के साथ ही इसमें वक्त के बदलाव तथा लोगों की पसंद के मुताबिक समय-समय पर परिवर्तन भी होते रहते हैं।
जादू शो में इंद्रजाल शो के दौरान हरएक आइटम के साथ उसी से संबंधित ड्रेस धारण की जाती है, अगर इल्यूजन आफ अमरीका का आइटम है तो जादूगर पठान की सफेद ड्रेस धारण करते हैं। जब योग माया की बारी हो तो जादूगर मंच पर भगवा ड्रेस में नज़र आते हैं। जादूगर शिव कुमार के मुताबिक इस दौरान इस बात का खास ख्याल रखा जाता है कि कहीं धर्म, संप्रदाय और संस्कृति की मर्यादा खंडित न हो। फैशन के ग्लैमर से भरपूर जादूगर शिव कुमार का मायाजाल अलवर शहर को भी जमकर चकित और आनंदित कर रहा है। प्रत्येक शो में दूर-दूर से आ रहे लोग और हॉल के अंदर तालियों की गड़गड़ाहट भी अपने आप में एक जादू ही नज़र आती है। जादूगर शिव कुमार के प्रबंधक रमेश शर्मा के अनुसार अब स्कूलों, क्लबों के लिए भी उनके शो के विशेष पैकेज जारी किए गए हैं।
Saturday, May 23, 2015
बनकटी हनुमान मन्दिर
काशी के प्राचीन हनुमान मन्दिरों में से एक है बनकटी हनुमान जी का मन्दिर। यह मंदिर दुर्गाकुण्ड में B 27/58 में स्थित है। काफी पहले इस स्थान पर घना वन था जिसमें चारों तरफ बड़े-बड़े वृक्ष थे मान्यता के अनुसार जंगल के बीच से ही हनुमान जी की मूर्ति मिली थी। इसलिए इस मूर्ति को बनकटी हनुमान जी कहा जाता है। धीरे-धीरे लोग बनकटी हनुमान जी की पूजा-अर्चना करने लगे। काशी प्रवास के दौरान रामचरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी नियमित बनकटी हनुमान जी के दर्शन-पूजन करने मंदिर आते थे। तुलसीदास जी की बनकटी हनुमान जी में बड़ी आस्था थी। कहा जाता है कि एक बार बनकटी हनुमान जी कोढ़ी के रूप में तुलसीदास जी से मिले थे और अपना दर्शन दिया था। बनकटी हनुमान जी के बारे में कहा जाता है कि लगातार 41 दिनों तक इनका दर्शन करने से सारी मनोकामनाएँ पूरी हो जाती है। मंदिर के प्रधान पुजारी पंडित गया प्रसाद मिश्र के अनुसार काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना के दौरान पंडित मदन मोहन मालवीय ने लगातार 41 दिनों तक बनकटी हनुमान जी का दर्शन किया था। बनकटी हनुमान जी के दर्शन से सभी प्रकार के दुःख दूर हो जाते हैं। इस प्राचीन बनकटी जी के हनुमान मंदिर का जीर्णोद्धार 1972 में कराया गया था। वही वर्ष 2008-09 में भी मंदिर के कुछ हिस्से का निर्माण हुआ है। मंदिर में हनुमान जी की उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मूर्ति स्थापित है। हनुमान जी की मूर्ति के ठीक सामने राम-जानकी का छोटा सा मंदिर मुख्य मंदिर परिसर में ही स्थित है। साथ ही मंदिर परिसर में विशाल पीपल का वृक्ष है। जिसके चारो ओर बने चबूतरे पर लोग दीये जलाते हैं। मंदिर में बड़ा कार्यक्रम नवम्बर महीने में आयोजित होता है। इस दौरान रामचरित मानस का नवाह पाठ होता है वहीं सायंकाल व्यास सम्मेलन का आयोजन होता है। इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचते हैं। मंदिर में दूसरा बड़ा कार्यक्रम दीपावली वाले दिन होता है। इस दिन को हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस मौके पर बनकटी हनुमान जी का भव्य श्रृंगार किया जाता है। साथ ही महाआरती होती है। मंदिर में नियमित रूप से देशी घी, तिल तेल, सरसो तेल और चमेली के तेल के दीप श्रद्धालु अपनी मनोकमना पूरी होने के लिए जलाते हैं। मंगलवार एवं शनिवार को मंदिर में दर्शनार्थियों की संख्या काफी अधिक होती है। मंदिर सुबह 4 से दोपहर 12 बजे तक खुला रहता है। वहीं शाम को साढ़े 3 बजे से रात 10 बजे तक मंदिर खुला रहता है। बनकटी हनुमान जी की आरती सुबह साढ़े 4 बजे एवं 6 महीना शाम 7 बजे एवं 6 महीना शाम-साढ़े सात बजे होती है।
संकटहरण हनुमान जी
भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त एवं गोस्वामी तुलसीदास जी के आराध्य हनुमान जी को भी काशी अतिप्रिय रही है। तभी तो उनका वास इस पावन नगरी में हर जगह है। जिसका अंदाजा सहज ही यहां स्थित अनेकों हनुमान मंदिरों से लगाया जा सकता है। हनुमान जी के जागृत मंदिरों में से एक कबीर रोड स्थित पिपलानी कटरा के पास स्थित संकटहरण हनुमान जी का मंदिर काफी प्रचीन एवं प्रसिद्ध है। बिल्कुल लबे सड़क बेहद छोटे से मंदिर में हनुमान जी की दिव्य बड़ी सी प्रतिमा स्थापित है। मान्यता के अनुसार संकटहरण हनुमान जी के दर्शन-पूजन से भक्तों के सारे संकट दूर हो जाते हैं एवं सुख-शांति मिलती है। नियमित रूप से सुबह शाम मंदिर के बाहर दर्शनार्थी हनुमान जी का दर्शन करते रहते हैं। इस मंदिर में बड़ा आयोजन हनुमान जयंती के अवसर पर होता है। इस दौरान हनुमान जी की प्रतिमा का कई प्रकार के सुगन्धित एवं आकर्षक फूलों से श्रृंगार किया जाता है। साथ ही भक्तगण रामचरित मानस का अखण्ड पाठ भी कराते हैं। इसके बाद भण्डारे का आयोजन किया जाता है। जबकि शाम को शास्त्रीय संगीत का आयोजन होता है। जिसमें भक्ति गीत गाये जाते हैं। वहीं, प्रत्येक मंगलवार एवं शनिवार को काफी संख्या में भक्त संकटहरण हनुमान जी का दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। सयम-समय पर श्रद्धालु हनुमान जी की प्रतिमा का श्रृंगार कराते रहते हैं। दर्शनार्थियों के लिए यह मंदिर प्रातःकाल 6 से 11 बजे तक एवं सायंकाल 6 से रात 9 बजे तक खुला रहता है। जबकि मंगलवार एवं शनिवार को मंदिर रात 10 बजे तक खुला रहता है। आरती सुबह साढ़े 6 बजे एवं सायंकाल साढ़े 7 बजे एवं शयन आरती रात 9 बजे सम्पन्न होती है।
शोक विमोचन हनुमान
शोक विमोचन हनुमान जी का मंदिर कमच्छा में मुख्य सड़क के किनारे स्थित है। छोटे से मंदिर में शोक विमोचन की दिव्य प्रतिमा स्थापित है। कहा जाता है कि यह प्रतिमा काफी प्राचीन है। पहले इस क्षेत्र में वन था। मान्यता के अनुसार किसी बाबा को हनुमान जी की यह प्रतिमा वन से ही मिली। जिसे उस बाबा ने कमच्छा पर स्थापित कर दिया। मंदिर में हनुमान जी की बड़ी प्रतिमा के दाहिनी ओर स्थापित छोटी सी हनुमान जी की प्रतिमा को लोग काफी प्राचीन मानते हैं। मंदिर परिसर में ही काफी पुराना विशाल पीपल का वृक्ष है जिस पर शनिदेव की आकृति बनी है। पीपल के वृक्ष के पास प्रायः भक्त दीप जलाते हैं। मान्यता के अनुसार शोक विमोचन के दर्शन-पूजन से जीवन में किसी प्रकार का कष्ट नहीं आता एवं कभी भी मन शोकपूर्ण नहीं होता है। शोक विमोचन मंदिर में हनुमान जयंती धूम-धाम से मनायी जाती है। इस मौके पर मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया जाता है। इस दौरान काफी संख्या में भक्त उपस्थित होकर भजन-कीर्तन करते हैं। सावन महीना भी मंदिर के लिए खास होता है। इस दौरान शोकविमोचन जी का वार्षिक श्रृंगार बेहद ही आकर्षक ढंग से किया जाता है। हनुमान जी के इस महत्वपूर्ण मंदिर में मंगलवार एवं शनिवार को काफी संख्या में भक्त मत्था टेकते हैं। सड़क किनारे होने की वजह से सड़क चौड़ीकरण के दौरान 4 अगस्त 1976 को इस मंदिर को तोड़ दिया गया था। इसके बाद क्षेत्रीय लोगों के सहयोग एवं दानदाताओं के चंदे से 10 दिसम्बर 1978 को इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया, जिसका उद्घाटन 14 फरवरी 1980 को महाशिवरात्रि के दिन हुआ। यह मंदिर प्रातःकाल 5 से दोपहर 11 बजे तक एवं शाम 4 से रात 9 बजे तक दर्शनार्थियों के लिए खुला रहता है। शोक विमोचन की आरती सुबह 8 बजे एवं सायंकाल 7 बजे सम्पन्न होती है। इस मंदिर के वर्तमान पुजारी लक्ष्मण पाण्डेय हैं। कैंट स्टेशन से करीब 3 किलोमीटर दूर स्थित इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आटो द्वारा रथयात्रा चौराहे पर पहुंचकर वहां से पैदल ही कमच्छा की ओर बढ़ने पर कुछ ही दूरी पर रोड के किनारे दाहिनी ओर मंदिर स्थित है।
हनुमान मंदिर, बिरदोपुर
काशी के हनुमान मंदिरों में बिरदोपुर स्थित संकटमोचन हनुमान जी का मंदिर भी महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि संकटमोचन हनुमान जी के दर्शन-पूजन से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं। बिरदोपुर में सकरी सी गली में स्थित यह मंदिर छोटा सा है। मंदिर के वर्तमान पुजारी मुरलीधर झा बताते हैं कि बिरदोपुर संकटमोचन हनुमान जी की प्रतिमा अति प्राचीन व जागृत प्रतिमा है। यह अपने भक्तों के सभी समस्याओं को दूर कर सुख देते हैं। मंदिर में बड़ा आयोजन दीपावली के एक दिन पहले हनुमान जयंती धूमधाम से मनायी जाती है। इस अवसर पर संकटमोचन हनुमान जी का भव्य श्रृंगार होता है। साथ ही सुन्दरकाण्ड का पाठ भक्त संगीतमय ढंग से करते हैं। इस दौरान मंदिर में काफी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहते हैं। मंगलवार एवं शनिवार को भी काफी संख्या में भक्त यहां दर्शन-पूजन के लिए आते हैं। इस छोटे से मंदिर में हाल ही में भगवान राम, मां सीता, लक्ष्मण एवं वैष्णो माता की प्रतिमा भी स्थापित की गयी है। वहीं परिसर में शिवलिंग भी है। यह मंदिर सुबह 7 से रात 10 बजे तक खुला रहता है। इनकी आरती सुबह 7 बजे एवं रात 8 बजे सम्पन्न होती है।
पंचमुखी हनुमान मंदिर
पंचमुखी हनुमान जी का यह मंदिर रथयात्रा चौराहे के पास है। देखने में यह मंदिर बेहद सुन्दर लगता है। इस मंदिर में स्थापित हनुमान जी की प्रतिमा काशी में स्थापित अन्य हनुमान जी की प्रतिमाओं से अलग है। हनुमान जी की इस प्रतिमा में उनके पांच मुख हैं। जो देखने में बेहद आकर्षक लगते हैं। पंचमुखी हनुमान जी का यह मंदिर छोटा सा है। सामान्य ढंग से बने इस मंदिर के मध्य गर्भगृह में हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित है। कहा जाता है कि इनके दर्शन-पूजन से सभी प्रकार के पुण्य का फल मिलता है और मनुष्य रोग व्याधि से दूर रहता है। इस मंदिर में हनुमान जयंती धूमधाम से मनायी जाती है। वहीं, मंगलवार एवं शनिवार को काफी संख्या में भक्त दर्शन-पूजन के लिए आते हैं। यह मंदिर दर्शनार्थियों के लिए प्रातः 4 से दोपहर 12 बजे तक एवं सायंकाल 4 से रात 11 बजे तक खुला रहता है। आरती प्रातः 7 बजे, सायं 4 बजे एवं 7 बजे होती है। कैंट से करीब 3 किलोमीटर दूर स्थित इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आटो रिक्सा द्वारा रथयात्रा चौराहे पर पहुंचकर वहां से कमच्छा की ओर करीब 20 मीटर आगे बढ़ने पर दाहिनी तरफ मुड़े रास्ते से जाने पर है।
Thursday, May 21, 2015
List Of Centrally Protected Monuments / Sites Under Archaeological Survey Of India
List Of Centrally Protected Monuments / Sites Under Archaeological Survey Of India
1) Ancient Buddhist site of Sarnath including Dhamekh stupa, the monastery and other excavated remains
2) Ancient Buddhist site known as Chaukhandi stupa located in sarnath
3) Pahladpur inscribed Lat or monolith now standing in the compound of the Sanskrit University.
4) Observatory of Man Singh Located In Man Mandir Ghat.
5) Telia Nala Buddhist ruins
6) Tilmapur Ancient Mound
7) Victoria Memorial Located in Benia Bagh
8) Lt. Col. Pogson’s tomb Located in Cantonment.
9) Grave of European Officers Located In Shivala.
10) Dharahra Masjid Located In Pachganga Ghat.
11) Two graves at old Artillery lines located in Cantonment.
12) Closed Cemetery located in Rajghat
13) Tomb of Lal Khan located in Rajghat
Prahladpur Inscribed Pillar
Prahladpur Pillar, obtained from the Prahladpur village in Ghazipur (Uttar Pradesh), is a sand stone monolithic structure belonging to the period of 6th century. It measures about 9.15 Mtr in height. The column bears several inscriptions in shell characters, the earliest of which dates back to the Gupta period.
The pillar is now installed in the Sanskrit College campus at Varanasi.
Sunday, May 17, 2015
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