परम्पराएं, मान्यताएं तथा रीति-रिवाज किसने कब और क्यों बनाए? इन मान्यताओं के पीछे वास्तव में कुछ तथ्य, आंकड़े और वैज्ञानिक आधार हैं भी या सिर्फ अंधविश्वास की उपज है। तुलसी और पीपल की पूजा, सूर्य और चंद्र को जल चढ़ाना या शिखा और यज्ञोपवीत धारण करना...ऐसे कितने ही कार्य हैं जो परम्परा के रूप में सैकड़ों-हजारों सालों से किये और करवाए जा रहे हैं।किसी परिवारी सदस्य या संबंधी की मौत हो जाने पर कई तरह की मान्यताओं या परंपराओं का पालन किया जाता है। श्मशान जाकर सामुहिक रूप से शव का दाह संस्कार करना, शव की परिक्रमा कर प्रणाम करना तथा श्मशान से लौटकर घर पहुंचने से पूर्व अनिवार्य रूप से नहाना ही घर में प्रवेश करना, जैसे कितने ही कार्य हैं जो आज परम्परा का रूप ले चुके हैं। मृत व्यक्ति के संबंधियों का सिर मुड़वाना ही ऐसी ही एक अनोखी परम्परा है।
बाल ही क्यों- मृत व्यक्ति के पारिवारिक सदस्य तथा सगे संबंधी दाह संस्कार के पश्चात अनिवार्य रूप से सिर के बाल मुड़वाकर या पूरी तरह से कटवाक र तथा नहाकर ही घर लौटते हैं। इस धार्मिक या सामाजिक मान्यता का वैज्ञानिक कारण यह है कि, मृत व्यक्ति के परिवारी सदस्य शव के निकट संपर्क में होते हैं जिससे कई तरह के हानिकारक संक्रमण का खतरा रहता है। सिर और सिर के बालों कासंक्रमण से ग्रसित होने का खतरा सर्वाधिक होता है। क्योंकि सिर तथा सिर के बाल किसी भी प्रकार के संक्रमण के लिये सबसे ज्यादा संवेदनशील होते हैं।
बाल ही क्यों- मृत व्यक्ति के पारिवारिक सदस्य तथा सगे संबंधी दाह संस्कार के पश्चात अनिवार्य रूप से सिर के बाल मुड़वाकर या पूरी तरह से कटवाक र तथा नहाकर ही घर लौटते हैं। इस धार्मिक या सामाजिक मान्यता का वैज्ञानिक कारण यह है कि, मृत व्यक्ति के परिवारी सदस्य शव के निकट संपर्क में होते हैं जिससे कई तरह के हानिकारक संक्रमण का खतरा रहता है। सिर और सिर के बालों कासंक्रमण से ग्रसित होने का खतरा सर्वाधिक होता है। क्योंकि सिर तथा सिर के बाल किसी भी प्रकार के संक्रमण के लिये सबसे ज्यादा संवेदनशील होते हैं।
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