Monday, October 27, 2014

नाग नथैया मेला

विश्व प्रसिद्ध नाग नथैया मेला तुलसी घाट पर हुआ सम्पन्न।
प्रभु के बाल स्वरूप को देख श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे।
वाराणसी के तुलसी घाट पर गुरुवार को प्रसिद्ध नाग नथैया लीला हर्षोल्लास के साथ संपन्न हो गई। गोस्वामी तुलसीदास की कृष्ण लीला में गंगा ने यमुना का स्वरूप धारण किया। कदंब की डाल पर चढ़कर कन्हैया ने कालिया दह में कूद लगायी और नाग को नाथ कर जल को जहर से मुक्ति दिलाया। गंगा की मध्य धारा पर जग विख्यात नाग-नथैया की लीला की झलक पाने को एक तरफ शाही बजड़े पर लाव-लश्कर के साथ कुंवर अनंत नारायण सिंह परंपरा का निर्वाह कर रहे थे तो दूसरी ओर नावों, बजड़ों से लेकर घाटों, सीढ़ियों, मढ़ियों, मंदिरों और तटीय भवनों की छतों तक उमड़ा जन सैलाब हर-हर महादेव के जयकारे के साथ सांस्कृतिक विरासत की जय-जयकार कर रहा था।
दोपहर लगभग दो बजे तक तुलसी घाट पर लीला देखने के लिए देश-दुनिया के कोने-कोने से लोग उमड़े पड़े, जिससे वहां पैर रखने की जगह तक नहीं बची थी। घाट की सीढ़ियां किसी छबिगृह की बालकनी के मानिंद दर्शकों से पट गई, तो छतों, बारजों पर लोग जहां-तहां ठसाठस भर गए। कुछ खाली जगह बनाकर लीला आरंभ हुई। एक तरफ यशोदा-नंद के अलावा उनके सहयोगी थे, तो दूसरी ओर ग्वाल-बाल गेंद खेल रहे थे। व्यास मंडली के सस्वर पाठ के साथ ही गेंद खेलने की लीला शुरू हुई। गेंदा के फूलों से ग्वाल खेल रहे थे।
शाम करीब 4 बजकर 10 मिनट पर गेंद यमुना दह रूपी गंगा में गिर गया। ग्वाल-बाल, कृष्ण से गेंद निकालने का आग्रह करने लगे। लीला प्रेमियों की भीड़ गगनभेदी जयकारे लगाने लगा। उस वक्त तक गंगा के जलमार्ग पर नावों-बजड़ों की कतार सज चुकी थी। कुंवर अनंत नारायण सिंह छोटे राजकुमार प्रद्युम्न नारायण सिंह के साथ बजड़े से कदंब के उस पेड़ के ठीक सामने आ चुके थे, जिस पर से भगवान श्रीकृष्ण को कूदना था।  भगवान गोप सखाओं के आग्रह पर कदंब के पेड़ की ओर जब बढ़े तो तमाम नेमी उनके पांव पखारने लगे। 4.35 पर भगवान कदंब पर चढ़े और 4.40 पर जैसे ही कूदे नावों-बजड़ों पर से महाआरती उतारी जाने लगी। कुछ देर में ही डमरू नाद और पुष्पवर्षा के बीच प्रभु श्रीकृष्ण कालियानाग के फन पर बंशी बजाते हुए निकले तो हर्ष ध्वनि गूंजने लगी। चारो ओर हर हर महादेव के नारे से आकाश गूंजायमान हो उठा। ऐसा लगा मानो धरती पर साक्षात स्वर्ग उतर आया है। इतना ही नहीं विदेशी सैलानियों में भी हर्ष का माहौल व्याप्त हो गया था।


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