मुमुक्षु भवन की स्थापना पंडित घनश्याम दत्त जी ने 1920 में काशीवास और मोक्ष के लिए आनेवाले लोगों के लिए की थी। इसके लिए राजा बलदेव दास बिड़ला ने जमीन और आर्थिक मदद दी थी। यह भवन पांच एकड़ में बना है। इस भवन में दंडी स्वामियों के लिए रहने के लिए कमरे, संस्कृत उच्च शिक्षा के लिए महाविद्यालय, अतिथिशाला, साधारण पर्यटक आवास, धार्मिक अनुष्ठान के लिए जगह, आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक औषधिशाला भी है। यहां काशीवास के लिए जो भी लोग रुकते हैं, उनके परिवार का कोई गारेंटर होना आवश्यक है, जो उनकी पूरी जिम्मेदारी ले ताकि तबियत अत्यधिक खराब होने पर वो उनको डॉक्टर के पास ले जा सके और देखभाल कर सके। बनारस के लोगो को इसमें स्थान नहीं दिया जाता। बाहरी लोगों को ही इस भवन में रहने की अनुमति है। इसमें 55 कमरे हैं जिनमें 55 परिवार (पति-पत्नी ) काशीवास करते हैं। बिजली-पानी का किराया महीने का बस 100 से 200 रुपए देने पड़ते हैं। उनको खाना खुद बनाना पड़ता है।
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