Tuesday, April 9, 2019

दुर्गा मंदिर, रामनगर (सुमेरु मंदिर)

रामनगर स्तिथ सुमेरु मंदिर दुर्गा मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर अपनी विशिष्ठ स्थापय कला के उल्लेखनीय है। मंदिर पर शैव, वैष्णव,शाक्त सभी देवताओं का अवतार भाव चित्रित है।सतयुग से लगायत दौपर तक संपूर्ण अवतार का चित्रण मंदिर की भीतियो पे किया गया है। रामनगर किले से लगभग दो किलोमीटर दूर स्तिथ दुर्गा मंदिर काशी नरेश महाराज बलवंत सिंह के शासनकाल में निर्मित की गयी। विविध शैलीगत विशेषताओं के इस मंदिर में राजस्तान ओडिशा मुग़ल क्षेत्रीयों के साथ ही कुछ अनूठे प्रयोग भी देखे जा सकते है। इस मंदिर के निर्माण कशी राज परिवार के दिव्तीय राजा बलवंत सिंह (1740-1760) के द्वारा प्रारम्भ करवाया गया परंतु उनके जीवन काल में यह पूर्ण न हो सका।कालांतर में महाराजा चेतसिंह ने मंदिर के कलश अदि भाग का निर्माण कराया।
मंदिर के वर्ण्य भाग पर उत्कीर्ण अप्सरा मुर्तिया संगीत विद्या का प्रतिक है। इनके हाथो में वीणा, सारंगी,शहनाई,संतूर,वायलिन,मृदंग,सरोद,तबला,ढोलक, बासुरी आदि वाद्ययंत्र काशी के संगीत महत्व को दर्शाते है। वही वेशभूषा में लंबा चोंगा,सिल्वरो वाला पायजामा, ओढनी के साथ माथे पर बिंदी,मस्तक पर मुकुट के साथ पंखधारी राजस्थानी प्रभाव वाली प्रतिकृतियां सम्भवतः मणिकर्णिका के शिव मंदिर बनी आकृतियों से प्रभावित है जिन्हें जोधपुर के शिल्पकारों द्वारा बनवाया गया है। मंदिर के उत्तर पूर्व कोने पर स्तिथ माता छिन्न मस्तिका देवी का मंदिर इस अद्भुत मंदिर को और भी भव्यता प्रदान करता है।
वर्तमान में प्रतिदिन होने वाली आरती तथा शंख घन्टा, घड़ियाल के साथ मातारानी के जय का उद्घोष संपूर्ण वातावरण को दिव्यता प्रदान करता है। साथ ही रामनगर रामलीला के दौरान लीला प्रेमियो के लिए लीला में जाने के पूर्व तैयारी, नहाना,धोना,भांग छानना,संध्या पूजन के लिए भी काफी प्रसिद्ध है।



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