Thursday, June 9, 2016

Varuna Corridor

The state government has decided to revive the Varuna corridor river project in Varanasi, Prime Minister Narendra Modi’s constituency. Under the project, a riverfront will be developed along the Varuna river on the lines of Sabarmati riverfront project of Gujarat.
The corridor will stretch from Aadkeshav ghat near Sangam to Phulwariya area.
Following a revision, the state government will send the plan proposal to the Centre for holding discussion on the project’s implementation and funding.
An official informed that under the project, landscape will be developed which would include walking tracks with space for amusement activities, public utilities and stalls for eateries. In the river belt, activities like movement of motor boats and small-size ships would also begin.
To make these facilities available, a water level of 2-metre depth would be maintained in 45-metre width and 18-km length of the river. Water level will be maintained by dredging and installing regulators and lock channels at different locations. Five terminals have been proposed to come up in the stretch with the entire area to be kept clean by keeping a check on discharge of untreated waste.
According to officials, the project was first planned around a decade ago and Varanasi Development Authority (VDA) had forwarded the proposal to the state government. Sources say that Inland Waterways Authority of India of the central government had found it feasible but the state government put the Rs 172-crore project on the back burner.
VDA officials said that Varuna corridor will be an additional attraction for the tourists who stay in hotels and lodges along the Ganga river. Officials added that corridor will be developed in a way that tourists could easily reach the Varuna corridor by motor boats. The project cost is slated to be increased in the revised plan, they said.







वरुणा कॉरिडोर

गंगा किनारे बसे वाराणसी का नाम गंगा की दो सहायक नदियों वरुणा और असि के नाम का ही मेल है। एक ओर जहां गंगा प्रदूषण की मार झेल रही है वहीं कभी उसकी दो भुजाएं कही जाने वाली वरुणा और असि लुप्त होने की कगार पर हैं।
काशी में बहती गंगा की सहायक नदी वरुणा की दशा और व्यथा किसी से नहीं छुपी है। शहर के सभी बड़े नाले वरुणा की गोद से होकर माँ गंगा में समाहित हो रहे हैं। इसके तटवर्ती इलाकों में अवैध कब्ज़ों की भरमार है और इन्हीं सब चीज़ों से इसे निजात दिलाने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री ने वरुणा कॉरिडोर योजना को हरी झंडी दी जिसके अंतर्गत वाराणसी में कमिश्नर के आदेश पर 27 मार्च से वरुणा कॉरिडोर की ड्रेजिंग का कार्य शुरू हुआ।
वरुणा कॉरिडोर योजना उत्तर प्रदेश सरकार की भावी योजना है। जिसमें वरुणा नदी में दो मीटर गहरा करके पानी भर कर नाव संचालन का कार्य शुरू करना है। जिसके लिए इसमें बह कर आई गन्दगी को साफ़ किया जा रहा है, क्योंकि पिछले कई वर्षों से यह नदी पट गयी है। इसे साफ़ करना हमारी मुख्य चुनौती है जिसके लिए हम और मशीनें मंगवा रहे हैं।
कॉरिडोर के लिए कार्य कर रही कार्यदायी संस्था इफ्को इंफ्राट्रेक प्राइवेट लिमिटिड के विनय कुमार पांडेय ने बताया कि इस योजना में नदी की चौड़ाई 30 मीटर रहेगी साथी ही नदी की गहराई 2 मीटर रहेगी। जिसमे नौका संचालन होगा। वहीं वरुणा नदी में हो रहे अवैध कब्ज़े के बारे में उन्होंने बताया कि सिंचाई विभाग का यह प्रोजेक्ट है। सिंचाई विभाग इस 11 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर के दोनों किनारों पर सर्वे कर रहा है और अवैध कब्ज़ा किये लोगों को नोटिस दिया जा रहा है। यह कार्य आने वाले 6 महीनों में पूरा कराने का लक्ष्य रखा गया है। जिसमें नदी के दोनों किनारों पर गंगा के तर्ज पर घाट भी बनाये जायेंगे।
नगर निगम वरुणा किनारे मौजूद होटलों का सर्वे कराएगा। जिन होटलों ने सीवर ट्रीटमेंट प्लांट नहीं लगाए हैं उनके ख़िलाफ़ कार्यवाही होगी। ‘वरुणा’ किनारे गंदगी एवं अतिक्रमण पर नज़र रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे एवं पुलों के चारों कोनों पर जाली लगाने के निर्देश जारी किए गए हैं।
वरुणा किनारे राजस्व विभाग, वीडीए, नगर निगम और सिंचाई विभाग की टीम ने सर्वे किया और लाल निशान लगाये। इसके बाद इन स्थानों पर पत्थर गाड़े गए हैं। सिंचाई विभाग ने ड्रोन कैमरे से सर्वे कर वरुणा किनारे के अतिक्रमण पर वीडियो बनाया था। रिपोर्ट भी उन्होंने वीडीए को दिया था। इस दौरान एसडीएम सदर आर्य का अखौरी राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में वरुणा की जितनी चौड़ाई है, उसका सीमांकन कर लाल निशान लगाया।
एक विशेष पहल
वरुणा एवं असि संगम पर 120 मीटर एवं हरिश्चंद्र घाट पर 60 मीटर लंबा कन्टेनमेंट बूम गंगा में बहती गंदगी को एकत्र कर लेगा।
वरुणा नदी की सफ़ाई के लिए प्रदेश सरकार की यह तत्परता मिशन 2017 के नज़रिए से देखी जा रही है। वहीं लोग गंगा से पहले वरुणा की सफाई शुरू होने पर प्रदेश सरकार की तारीफ करने से भी नहीं चूक रहे हैं।
वरुणा नदी पर बना बांध बना मुसीबत
सरकार तो शहर में विकास कार्य के लिए पानी की तरह पैसा बहा रही है, लेकिन शहर के अधिकारी विकास कार्यों को सिर्फ़ काग़ज़ पर ही कर रहे हैं। ऐसा ही नज़ारा शहर के पुराने पुल पर बने बाँध पर देखने को मिलता है। यह पुल अंग्रेज़ों के ज़माने में वरुणा नदी के ऊपर बनाया गया था। इसका उद्देश्य था कि किसानों को गर्मियों में सिंचाई करते हुए दिक्कतों का सामना न करना पड़े। लेकिन आज स्थिति यह है कि इस बांध के भीतर शहर की गन्दगी अपना साम्राज्य स्थापित कर चुकी है। पिछले कुछ सालों से इस बांध की सफाई नहीं हुई है, जिससे दूषित जल गंगा नदी में प्रवाहित होता है। साथ ही इस पानी से इतनी बदबू आती है कि यहाँ के निवासियों का जीवन दूभर हो गया है।
अंग्रेज़ों के ज़माने में शहर में बने वरुणा नदी के पुराने पुल से इबारत मिट चुकी है। सन 1959 में इसके सौंदर्यीकरण के लिए अशोक स्‍तम्‍भ लगे द्वार का उद्घाटन तत्कालीन सिंचाई मंत्री कमलापति त्रिपाठी ने किया था। क्षेत्र के 78 वर्षीय बुज़ुर्ग अच्छे लाल मौर्य बताते हैं कि अंग्रेज़ों के ज़माने में यहाँ इतनी आबादी नहीं थी। लोग नदी किनारे खेती करते थे। गर्मियों में जब पानी का स्तर कम हो जाता था तो लोगों को काफी दिक्कतें होती थीं। तब अंग्रेज़ों ने इस पुल के साथ-साथ बांध का निर्माण किया, ताकि पानी रोक कर उसे खेती के लिए इस्तेमाल किया जा सके। लेकिन वक्त के साथ-साथ सब कुछ बदल चुका है। खेतों की जगह बड़ी-बड़ी इमारतों ने ले ली है। नदी भी गंदी हो गई है। अब इस नदी में गंदगी बहती है जो बांध में फंस जाती है। इस ओर कोई ध्यान नहीं देता। इसकी कभी सफाई भी नहीं की जाती।