मुमुक्षु भवन की स्थापना पंडित घनश्याम दत्त जी ने 1920 में काशीवास और मोक्ष के लिए आनेवाले लोगों के लिए की थी। इसके लिए राजा बलदेव दास बिड़ला ने जमीन और आर्थिक मदद दी थी। यह भवन पांच एकड़ में बना है। इस भवन में दंडी स्वामियों के लिए रहने के लिए कमरे, संस्कृत उच्च शिक्षा के लिए महाविद्यालय, अतिथिशाला, साधारण पर्यटक आवास, धार्मिक अनुष्ठान के लिए जगह, आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक औषधिशाला भी है। यहां काशीवास के लिए जो भी लोग रुकते हैं, उनके परिवार का कोई गारेंटर होना आवश्यक है, जो उनकी पूरी जिम्मेदारी ले ताकि तबियत अत्यधिक खराब होने पर वो उनको डॉक्टर के पास ले जा सके और देखभाल कर सके। बनारस के लोगो को इसमें स्थान नहीं दिया जाता। बाहरी लोगों को ही इस भवन में रहने की अनुमति है। इसमें 55 कमरे हैं जिनमें 55 परिवार (पति-पत्नी ) काशीवास करते हैं। बिजली-पानी का किराया महीने का बस 100 से 200 रुपए देने पड़ते हैं। उनको खाना खुद बनाना पड़ता है।
Tuesday, January 15, 2019
Mumukshu Bhawan
The gateway to salvation, if you’ve been looking for it, is in India’s northern Uttar Pradesh state, in the holy city of Varanasi. Dying here, according to Hindu belief, is supposed to ‘break the cycle of death and rebirth. Once one dies in Varanasi, he or she is never reborn, and thus attains salvation.’.
Hotels and lodgings have crowded the city, with one such place called Mumukshu Bhawan (Home of the Ailing), which was established in 1920. This is where the elderly come to settle, and ultimately die.
‘More than 300 people stay in Mumukshu and most of them are above 60.In Varanasi death is not mourned but considered a blessing’.
Hotels and lodgings have crowded the city, with one such place called Mumukshu Bhawan (Home of the Ailing), which was established in 1920. This is where the elderly come to settle, and ultimately die.
‘More than 300 people stay in Mumukshu and most of them are above 60.In Varanasi death is not mourned but considered a blessing’.
15वें प्रवासी भारतीय दिवस का 21-23 जनवरी, 2019 को वाराणसी में आयोजन
कुंभ मेला और गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लेने के लिए बहुतायत डायस्पोरा समुदाय की भावनाओं के सम्मान में, 15वां प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन 9 जनवरी के स्थान पर 21 से 23 जनवरी 2019 तक आयोजित किया जा रहा है। सम्मलेन का आयोजन वाराणसी, उत्तर प्रदेश में किया जाएगा। सम्मेलन के बाद, प्रतिभागियों को 24 जनवरी, 2019 को कुंभ मेला के लिए प्रयागराज जाने और 26 जनवरी 2019 को नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड का साक्षी होने का अवसर दिया जाएगा।
21 जनवरी, 2019 को, युवा प्रवासी भारतीय दिवस का उद्घाटन युवा मामले और खेल मंत्रालय की साझेदारी में किया जाएगा। उत्तर प्रदेश सरकार 21 जनवरी, 2019 को राज्य प्रवासी भारतीय दिवस- 2019 भी आयोजित करेगी। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी 22 जनवरी, 2019 को प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। माननीय राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद 23 जनवरी, 2019 को, समापन अभिभाषण देंगे और प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार प्रदान करेंगे ।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर, मॉरीशस के प्रधानमंत्री श्री प्रवीण कुमार जुगनुथ, सम्मेलन के मुख्य अतिथि होंगे। नॉर्वे की संसद के सदस्य श्री हिमांशु गुलाटी विशेष अतिथि होंगे और न्यूजीलैंड की संसद के सदस्य श्री कंवलजीत सिंह बक्शी 21 जनवरी, 2019 को युवा प्रवासी भारतीय दिवस में विशिष्ट अतिथि होंगे।
प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन सरकार का प्रमुख कार्यक्रम है और यह विदेशी डायस्पोरा से जुड़ने और उससे संपर्क करने का एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है। प्रवासी भारतीय दिवस 2019 का विषय "नव भारत निर्माण में भारतीय डायस्पोरा की भूमिका" है।
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