मसीही समुदाय का सबसे बड़ा क्रिसमस का पर्व बुधवार की आधी रात से प्रारंभ हो गया। सभी चर्च आकर्षक ढंग से सजाए गए थे। घड़ी की सुइयों ने एक होकर 12 बजने का संकेत दिया और हर तरफ प्रभु यीशु के आगमन की खुशियां बिखर गई। प्रभु जन्म के साथ ही क्रिसमस त्योहार का आगाज हो गया। मसीही बस्तियों में आतिशबाजी छोड़कर खुशी का इजहार किया गया।
मुख्य आयोजन महागिरजा में
छावनी क्षेत्र के सेंट कैथीड्रल (महागिरजा) में मुख्य आयोजन हुआ। वाराणसी धर्मप्रांत के प्रशासक फादर युजीन जोसेफ ने मुख्य हाल में नवजात शिशु प्रभु यीशु को हाथों में ऊपर उठाकर लोगों को प्रभु के आगमन की खुशखबरी सुनाई। आहिस्ता-आहिस्ता चलते हुए परिसर में सजी चरनी में स्थापित कर दिया। इससे पहले फादर ने मुख्य प्रार्थना हाल में प्रार्थना की। इस दौरान बड़ी संख्या में गैर मसीही भी मौजूद थे।
क्रिसमस कैरल से गूंजे चर्च
प्रभु के आगमन के साथ ही लोगों का एक दूसरे को क्रिसमस की बधाई का सिलसिला शुरू हो गया। गिरजाघरों में कैरल गीतों की प्रस्तुति की गई। हिन्दी, अंग्रेजी और भोजपुरी में गाये कैरेल से चर्च गूंज उठे। कैंटोंनमेंट स्थित लाल गिरजाघर, सेंट जांस मढ़ौली चर्च, सिगरा, रामकटोरा, गौदौलिया, तेलियाबाग आदि चर्चो में आया यीशु जगत में आया, चरनी में चमका उजियारा, भइया हो उगल गगन में तारा आदि गीतों की प्रस्तुति की गई।
बांटे गए केक
सभी गिरजाघरों में प्रार्थना के बाद केक बांटे गए। लोगों ने एक दूसरे से गले मिलकर क्रिसमस की शुभकामनाएं दी। शहर के तमाम चर्च में क्रिसमस के अवसर पर खास सजावट की गयी थी। बेहतरीन लाइटिंग के नजारे लोगों के आकर्षण का केन्द्र बने हुए थे।
बाजारों में रौनक
क्रिसमस पर बाजारों में रौनक भी कुछ खास ही थी। क्रिसमस के सजावटी सामानों की दुकानें खरीदारों से भरी पड़ी थीं। लोग क्रिसमस ट्री, अलग-अलग डिजाइन के सितारे, सेंटा क्लाज के पुतलों की खरीदारी में व्यस्त थे। क्रिसमस ट्री असली भी थे और नकली भी।
केक भी बिके खूब
क्रिसमस में केक का होना जरूरी है इसके चलते बेकरी की दुकानों पर लोगों की खूब भीड़ उमड़ी। लोगों ने क्रिसमस केक का आर्डर पहले ही दे रखा था।